ममता बनर्जी ने पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से की भेंट, तेवरों में दिखी नरमी
नई दिल्ली । पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी का रवैया पीएम नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष और गृह मंत्री अमित शाह को लेकर सदैव से ही आक्रामक रहा है पर हालही में ममता बनर्जी के तेवर बदले हुए दिखाई दे रहे हैं। भाजपा व उसके शीर्ष नेतृत्व पर उनका आक्रमण न सिर्फ कम हुआ है, बल्कि पिछले दिनों वह पीएम नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से सौहार्दपूर्ण माहौल में मिलती दिखाई दीं। सियासी गलियारे में ममता में आए इस बदलाव को लेकर अलग-अलग तरीके से देखा जा रहा है। चर्चा है कि लोकसभा चुनाव के नतीजों और अनुच्छेद 370 के बाद बने माहौल को देखते हुए ममता ने अपने तेवरों में थोड़ी नरमी दी है। कहा जा रहा है कि साल 2021 में होने वाले राज्य के चुनावों को देखते हुए ममता ने फिलहाल अपना सारा फोकस प्रदेश के विकास, राज्य के मुद्दों, केंद्र सरकार से ज्यादा से ज्यादा अपने हिस्से में फंड और योजनाएं लाने पर लगा दिया है। ममता समझ रही हैं कि अगर केंद्र से राज्य के लिए अपनी हिस्सेदारी चाहिए तो वह लड़ झगड़ कर नहीं, बल्कि आपसी सहयोग और बातचीत से ली जा सकती है। शायद यही वजह थी कि अपनी हालिया दिल्ली यात्रा में जब पीएम मोदी से मिलीं तो उन्होंने उन्हें कोलकाता की सबसे बढ़िया समझी जाने वाली स्वीट शॉप की मिठाई 'संदेश' उपहार में दिए। पीएम से हुई मुलाकात में जहां उन्होंने राज्य का नाम बदलने के मुद्दे को फाइनल किया, वहीं उन्होंने बीरभूम स्थित प्रदेश के सबसे बड़े कोल ब्लॉक के उद्घाटन के लिए प्रधानमंत्री को आमंत्रित किया।
पश्चिम बंगाल की सियासत पर अपनी गहरी नजर रखने वाले विशेषज्ञों की मानें तो ममता के तेवरों में आए इस बदलाव के पीछे कहीं ना कहीं बदले हुए हालात भी हैं। जहां लोकसभा चुनाव के दौरान ममता अपनी जमीन को बचाए रखने के लिए बेताब थीं, इसीलिए भाजपा की ओर से मिलने वाली चुनौतियों को लेकर वह लगातार हमलावर थीं। पिछले कुछ महीनों में जब हालात बदल गए हैं और चीजें ममता को अपने पक्ष में दिखाई देने लगी हैं तो उन्हें टकराव को छोड़कर आपसी सहयोग और बातचीत से आगे बढ़ने की रणनीति पर चलना ठीक लग रहा है।
असम में एनआरसी लागू होने के बाद जिस तरह से वहां माहौल बना और बीजेपी बैकफुट पर आई है, उसे ममता अपने लिए बेहतर मौके के तौर पर देख रही हैं। गौरतलब है कि असम की एनआरसी लिस्ट से बाहर होनेवालों में ज्यादा तादाद हिंदुओं की है। असम की तर्ज पर बंगाल में भी एनआरसी लागू होने की बात कही जा रही है। असम का उदाहरण सामने रखते हुए ममता लगातार संकेत देती रही हैं कि वह अपने रहते बंगाल में एनआरसी नहीं लागू होने देंगी। उल्लेखनीय है कि एनआरसी को लेकर बंगाल में भी लोगों के बीच एक डर बैठा हुआ है। ममता इस डर को अपने पक्ष में संभावना के तौर पर देख रही हैं। इसके अलावा, पिछले दिनों राज्य में हुई कुछ घटनाओं के चलते भी भाजपा बैकफुट पर आई। वहीं, ममता के रूप में आए इस बदलाव के पीछे निजी वजह भी मानी जा रही है। शारदा-नारदा मामले, भतीजे अभिषेक बनर्जी, आईपीएस राजीव कुमार जैसे मामलों को भी ममता के तेवरों में नरमी की वजह माना जा रहा है।
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