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राम जन्मभूमि विवाद- हिंदू पक्ष ने किया वेदों का जिक्र - सुप्रीम कोर्ट बोला- आस्था-विश्वास पूरी तरह से अलग विषय

राम जन्मभूमि विवाद- हिंदू पक्ष ने किया वेदों का जिक्र - सुप्रीम कोर्ट बोला- आस्था-विश्वास पूरी तरह से अलग विषय

राम जन्मभूमि विवाद- हिंदू पक्ष ने किया वेदों का जिक्र
- सुप्रीम कोर्ट बोला- आस्था-विश्वास पूरी तरह से अलग विषय
नई दिल्ली । देश की सर्वोच्च अदालत में अयोध्या के श्रीरामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर गुरुवार को भी सुनवाई चली। आज सुनवाई का 36वां दिन है और सुप्रीम कोर्ट के द्वारा हिंदू पक्षकारों की बहस खत्म होने की तारीख भी है। हिंदू पक्षकार की ओर से वकील सीएस. वैद्यनाथन ने गुरुवार को अपनी दलीलें रखी। राम लला विराजमान की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन ने न्यायालय से कहा कि अयोध्या में ध्वस्त की गई बाबरी मस्जिद के नीचे ‘विशाल संरचना’ की मौजूदगी के बारे में ‘साक्ष्य संदेह से परे’ हैं और वहां खुदाई से निकले अवशेषों से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि वहां मंदिर था। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष वैद्यनाथन ने कहा कि मुस्लिम पक्षकारों की यह दलील सही नहीं है कि विवादित ढांचे के नीचे बना ढांचा ईदगाह की दीवार या इस्लामिक संरचना है।
वैद्यनाथन ने मुस्लिम पक्षकारों की दलीलों के जवाब में कहा, ‘पहले उनका दावा था कि वहां कोई संरचना ही नहीं थी, बाद में उन्होंने कहा कि यह इस्लामिक ढांचा या ईदगाह की एक दीवार थी। हम कहते हैं कि वह मंदिर था जिसे ध्वस्त किया गया और खुदाई के दौरान मिले स्तंभों के आधार इसकी पुष्टि करते हैं।’ उन्होंने कहा, ‘यह किसी भी संदेह से परे साक्ष्य है कि इसके नीचे एक संरचना थी।’ हिंदू पक्षकार वैद्यनाथन ने कहा कि मकर की आकृति वाला परनाला हिंदू मंदिरों का प्रतीक है, क्योंकि ये गंगा का वाहन है। वहां पर 16 नंबर की दीवार 10-11वीं की सदी होने का पता लगता है। जबकि एएसआई की रिपोर्ट में दीवार का दावा बहुत बाद का है। सीएस वैद्यनाथन ने आगे कहा कि दीवार नंबर 16 को 6 मीटर तक खोदा गया लेकिन बाद में खुदाई बंद करनी पड़ी। इस दौरान एएसआई की तस्वीरों का हवाला भी दिया। यह हिंदुओं के लिए महत्व का स्थान है, यह बौद्धों का पवित्र स्थान कभी नहीं रहा है। इसलिए यह एक उचित अनुमान है कि यह एक हिंदू मंदिर था। वकील की दलील पर जस्टिस चंद्रचूड ने पूछा कि क्या यह दावा करने के लिए उन विशेषताओं का हवाला दिया जा सकता है कि यह एक हिंदू मंदिर है जो बौद्ध विहारों में भी मौजूद है? दूसरे शब्दों में सबूत का बोझ आप पर यह साबित करने के लिए है कि यह एक हिंदू मंदिर है। इस दौरान जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि आस्था-विश्वास पूरी तरह से अलग दलीलें हैं। बेशक आस्था-विश्वास के लिए कोई सबूत नहीं हो सकते, लेकिन हम मुख्य साक्ष्य की ओर बढ़ रहे हैं। आपको बताते जाए कि सुप्रीम कोर्ट में 5 अगस्त से इस मामले की सुनवाई जारी है। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने इस मामले की सुनवाई के लिए 18 अक्टूबर तक का समय दिया है। सीजेआई का कहना है कि अगर मामले की सुनवाई 18 अक्टूबर तक पूरी नहीं हुई तो मामला लंबा खिंच सकता है।
मुस्लिम पक्षकारों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अनुसार मंदिर ध्वस्त किये जाने के बारे में कोई निश्चित साक्ष्य या तथ्य नहीं है। वैद्यनाथन ने कहा कि हिन्दू पक्षकारों का यही मामला है कि खुदाई में मिले अवशेषों, घेराकार मंदिर, स्तंभों के आधार, एक दूसरे से मिलती दीवारें और अन्य सामग्री, से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि वहां एक मंदिर था। संविधान पीठ अयोध्या में राज जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सितंबर, 2010 के फैसले के खिलाफ दायर अपीलों पर सुनवाई कर रही है। संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एसए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं।
 

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