धर्मात्मा साधुओं से ग्लानि नहीं करता : आचार्यश्री आर्जव सागर
भोपाल । आचार्य गूरूवर 108 श्री आर्जव सागर महाराज जी के मंगल सानिध्य में अशोका गार्डन में चल रहे चतुर्मास में श्रद्धालु संयम ,भक्ति साधना में लीन हैं। आज आचार्य श्रीकि ब्रहमचारीणी दीदीयों एवं पाठशालाओं के बच्चों द्वारा संगीतमय नृत्य के साथ विशेष पूजा कि गई। आज आचार्य श्री ने आशीष वचनों में कहा कि अहिंसा धर्म की रक्षा के लिए एवं हिंसा से बचने के लिए जैन मुनि जल में स्नान नहीं करते,क्योकि स्नान करने से सूक्ष्म जीवों की हिंसा हो जाती है। सच्चा धर्मात्मा उन साधुओं से ग्लानि नहीं करता, अपितु उनके धर्म प्रति अनुराग रखता है। आचार्य श्री ने आगे बताते हुए कहा कि क्योकि उनकी आत्मा धर्म से परिशुद्ध होती है परन्तु उन सांसारिक पंच पापों से जिन ग्रहस्थों की आत्मा भी मैली रहती है उन गृहस्थों को नितप्रतिदिन वस्त्रों को धोने के साथ साथ शरीर को स्नानादिक से स्वच्छ रखना पड़ता है क्योकि इसके बिना प्रभु के अभिषेक, पूजन एवं गुरु व व्रतियों के लिए आहारदिक के देने योग्य नहीं हो सकते अतः भाव शुद्धि हेतु जैन धर्म में सोला व शुद्ध वस्त्रों का बड़ा महत्व है। आशीष वचन में विराम देते हुए कहा की परमात्मा कि पूजा कर राग की कामना नहीं करना चाहिए।भगवान जिनेन्द्र ने धन वैभव परिग्रह का त्याग कर दिगम्बर अवस्था प्राप्त की थी ताकि सच्चा धर्मात्मा दिगम्बर साधु कि अवस्था से ग्लानि ना कर उनके प्रति सच्ची आस्था और विश्वास रखे।
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धर्मात्मा साधुओं से ग्लानि नहीं करता : आचार्यश्री आर्जव सागर