केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने सरकार द्वारा रिजर्व बैंक के सामने अर्थव्यवस्था में नकदी बढ़ाने समेत कई दूसरे मुद्दों को उठाने का बचाव करते हुए कहा कि देश संस्थानों से ज्यादा महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा देश की अर्थव्यवस्था को स्थिरता देने के लिए जरूरी है कि अगले दिनों में होने वाले लोकसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत वाली सरकार सत्ता में आए।
वैश्विक व्यावसायिक सम्मेलन (जीबीएस) को संबोधित करते हुए जेटली ने कहा कि चुनाव से तीन-चार माह पहले या बाद की घोषणाएं कुछ लीक से हटकर होती हैं, लेकिन ध्यान नीतियों के दीर्घकालिक लक्ष्य पर ही होना चाहिए। सरकार की ओर से रिजर्व बैंक के सामने उसकी चिंताओं से जुड़े मुद्दे उठाए जाने के बारे में पूछे जाने पर जेटली ने कांग्रेस की सरकारों के दौरान केंद्रीय बैंक के गवर्नरों को इस्तीफा देने के लिए मजबूर किए जाने के घटनाक्रमों का जिक्र किया और कहा कि उनके पूर्ववर्ती पी. चिदंबरम की तो दो गवर्नरों के साथ बातचीत तक नहीं होती थी।
जेटली ने पूछा अर्थव्यवस्था के हित में कोई मुद्दा उठाने को क्या संस्थान के साथ छेड़छाड़ माना जाना चाहिए? देश किसी भी संस्थान से ज्यादा महत्वपूर्ण है, फिर वह सरकार ही क्यों न हो। उन्होंने कहा देश वित्तीय अनुशासन में रहने के फायदे देख चुका है। नीति निर्माताओं के सामने बेहतर नीतियों और लोक लुभावन के बीच किसी एक का चयन करने का विकल्प है।
जेटली ने कहा देश के लिए इस समय जो सबसे खराब स्थिति होगी वह राजनीतिक अस्थिरता और नीतिगत अनिर्णय की होगी। हमें विभिन्न दलों का ऐसा गठबंधन भी नहीं चाहिए और सबसे महत्वपूर्ण यह होगा कि भारत को पांच साल चलने वाली सरकार चाहिए, छह महीने की अस्थिर सरकार नहीं।’ उन्होंने कहा कि पिछले पांच साल भारत के लिए उल्लेखनीय रूप से बदलाव के रहे हैं। देश इस दौरान औपचारिक अर्थव्यवस्था और कर आधार के विस्तार की दिशा में आगे बढ़ा है।
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संस्थानों से ज्यादा बड़ा देश, विकास की गति बनी रहे इसलिए पूर्ण बहुमत की सरकार चाहिए : जेटली