वर्ष 2019-20 में आर्थिक वृद्धि दर घटकर 6.1 प्रतिशत रह सकती है: रिजर्व बैंक
मुंबई । चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर के छह साल के निचले स्तर पांच प्रतिशत पर पहुंच जाने के बाद केंद्रीय बैंक का जीडीपी वृद्धि दर के बारे में यह ताजा अनुमान आया है। निजी क्षेत्र की खपत और निवेश में नरमी को इसकी प्रमुख वजह माना जा रहा है। आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए सरकार ने कई प्रोत्साहन उपाय किए हैं। इनमें कारपोरेट कर में 10 प्रतिशत तक की भारी कटौती जैसे प्रावधान शामिल हैं। इसके अलावा सरकार ने बैंकों में पूंजी डालने की भी घोषणा की है। चालू वित्त वर्ष की चौथी द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा में केंद्रीय बैंक ने कहा है कि सरकार के प्रोत्साहन उपायों, नीतिगत दरों में कटौती और अनुकूल बुनियादी कारकों के चलते हर तिमाही में आर्थिक वृद्धि की रफ्तार सुधरेगी। रिजर्व बैंक ने 2020-21 में देश की आर्थिक वृद्धि दर के सात प्रतिशत पर वापस लौटने का अनुमान जताया है। हालांकि केंद्रीय बैंक ने कहा कि निकट अवधि में अर्थव्यवस्था का सफर कई जोखिमों से भरा है। वृद्धि अनुमान में इस बड़ी कटौती की वजह बताते हुए रिजर्व बैंक ने कहा कि निजी क्षेत्र की खपत और निवेश उम्मीद के मुताबिक नहीं बढ़ सकी। वहीं वैश्विक व्यापार में नरमी के दबाव से निर्यात की रफ्तार खो गई। मौद्रिक नीति के अनुसार आधारभूत आकलनों, सर्वेक्षण के संकेतकों, बुनियादी कारकों और फरवरी से रेपो दर में की जा रही कटौती को ध्यान में रखते हुए 2019-20 में जीडीपी की वास्तविक वृद्धि दर 6.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
नेशन इकॉनमी रीजनल
वर्ष 2019-20 में आर्थिक वृद्धि दर घटकर 6.1 प्रतिशत रह सकती है: रिजर्व बैंक