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लकड़ी पर पक रहा मिड डे मील, धुएं में नौनिहाल

लकड़ी पर पक रहा मिड डे मील, धुएं में नौनिहाल

लकड़ी पर पक रहा मिड डे मील, धुएं में नौनिहाल
अशोकनगर । देश को प्रदूषण मुक्त करने के लिए प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत महिलाओं को मुफ्त रसोई गैस कनेक्शन दिया जा रहा है। ताकि, भोजन बनाने में महिलाओं को किसी तरह की परेशानी न हो और धुआं से बच सकें। लेकिन जिले के सरकारी स्कूलों में अभी भी कोयला और लकड़ी के चूल्हे पर मध्याह्न भोजन बनाया जा रहा है।  
शासकीय स्कूलों में संचालित मिड-डे-मिल कार्यक्रम के तहत स्व-सहायता समूहों को गैस सिलेंडर उपलब्ध नहीं कराया गया है। इसके चलते जिले के स्कूलों में लकड़ी, कंडा, सूखे पत्ते जलाकर मध्यान्ह भोजन पकाया जा रहा है। यह हालात ग्रामीण नहीं वरन शहरी क्षेत्रों के विद्यालयों की भी है। विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले में कुल 1500 स्कूलों को सिलेण्डर मिलना है। जिसमें से अभी तक मात्र 954 स्कूलो को गैस सिलेण्डर उपलब्ध कराये गये हैं। वर्ष 2013-14 में 200 गैस सिलेण्डर स्कूलों को उपलब्ध कराये थे और 2019 में 754 गैस सिलेण्डरों को स्कूलो में विभजवाया गया है। 546 शासकीय स्कूलों में अभी भी चूल्हे पर मध्याह्न भोजन पकाया जा रहा है। चूल्हा जलाने से जहां प्रतिदिन इसके धुआं से आसपास का क्षेत्र प्रदूषित हो रहा है। वहीं, पढ़ाई करने वाले बच्चों को काफी परेशानी हो रही है। उनका स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है। पर्यावरण पर भी बुरा असर पड़ रहा है। जबकि स्कूलों में गैस व सिलेंडर से मध्याह्न भोजन बनाने का नियम है। इसके लिए विभाग हर माह लाखों रुपये का बजट खर्च करता है। 
-अमाही पछार चूल्हे पर पक रहा एमडीएम:
ग्राम अमाही पछार में अभी भी चूल्हे पर मध्याह्न भोजन पकाया जा रहा है। जबकि बीती 11 अक्टूबर को आपकी सरकार आपके द्वारा कार्यक्रम के तहत कलेक्टर डॉ. मंजू शर्मा ने गांव में पहुंचकर स्कूल का निरीक्षण किया था और स्कूल में गैस सिलेण्डर उपलब्ध कराये जाने के निर्देश दिये गये थे। कलेक्टर के निर्देश पर तीन दिन में विद्यालय में गैस सिलेण्डर उपलब्ध कराने का आश्वसन जिला पंचायत सीईओ द्वारा दिये गये थे। लेकिन तीन दिन बीतने के बाद भी स्कूल को गैस सिलेण्डर प्राप्त नहीं हुआ है। वहीं जिला पंचायत से प्राप्त जानकारी के अनुसार सूची में स्कूल का नाम न होने के कारण सिलेण्डर उपलब्ध नहीं हो पाया है। 
-खाना पकाने में होती है देरी:
सरकारी स्कूलों में कोयला और लकड़ी के माध्यम से मध्याह्न भोजन पकाया जाता है। इससे निकले धुआं से स्कूली बच्चों को काफी परेशानी होती है। धुआं के कारण बच्चों की पढ़ाई पर असर पड़ता है। साथ ही भोजन भी समय पर नहीं पकता है। शिक्षा विभाग इस ओर मौन है। 
-आंख व फेफड़ों लिए घातक:
धुआं स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इससे आंख, फेफड़े व स्किन संबंधी बीमारी हो सकती है। आंखों की रोशनी कम हो सकती है और फेफड़ों में जमा होने से सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। अधिक धुएं में रहने से त्वचा काली पड़ सकती है। यह बच्चों पर ज्यादा असर डालता है। 
-खाने के बाद घर चले जाते हैं बच्चे:
जिले के अधिकतर सरकारी विद्यालयों में यह समस्या रही है कि अल्पाहार के बाद की घंटी में बच्चे नदारद दिखते हैं। गरीब परिवार के ज्यादातर बच्चों की शिक्षा सरकारी विद्यालयों पर ही निर्भर हैं. बच्चे भोजन की आस लिये स्कूल आते हैं और भरपेट भोजन करने के बाद आधे समय के बाद घर चले जाते हैं।

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