एशियाई शेरों की छुट्टियां खत्म, बुधवार से पर्यटकों के लिए खुलेगा गिर अभयारण्य
अहमदाबाद | एशियाई शेरों के लिए दुनियाभर में मशहूर गिर अभयारण्य 16 अक्टूबर 2019 यानी बुधवार से पर्यटकों के लिए खुल जाएगा| 15 जून से प्रारंभ हुआ शेरों का चार महीने का अवकाश आज खत्म हो जाएगा| जून से अक्टूबर तक चार महीने शेर समेत अन्य प्राणियों का प्रजनन काल होता है| जिसमें कोई खलेल न पहुंचे और मानसून के दौरान जंगल में सड़क और अन्य मार्गों की मरम्मत की जाती है, जिसकी वजह से चार महीने के लिए गिर अभयारण्य पर्यटकों के लिए बंद रहता है| हांलाकि इन चार महीनों के दौरान देवलिया सफारी पार्क में शेर समेत अन्य पशु-पक्षियों को पर्यटक देख सकते हैं| देवलिया सफारी पार्क पर्यटकों के लिए साल भर खुला रहता है|
वन विभाग के मुताबिक गिर अभयारण्य में फिलहाल 525 शेर हैं| चार महीने की छुट्टियों के दौरान 35 फीसदी का इजाफा हुआ है| यानी गिर अभयारण्य में पर्यटकों को शावक भी बड़ी संख्या में दिखाई देंगे| पर्यटकों की संख्या में लगातार वृद्धि को देखते हुए गुजरात सरकार और वन विभाग ने खास आयोजन किया है| राज्य सरकार द्वारा पर्यटकों की दी जाती परमिट की संख्या में इजाफा किया है| पहले प्रति दिन 90 परमिट दी जाती है, जिसमें 60 की वृद्धि कर रोजाना 150 परमिट दी जा रही है| ज्यादातर लोग परिवार के साथ गिर अभयारण्य आते हैं, जिसे ध्यान में रखते हुए महिला गाइड को नियुक्त किया गया है| साथ ही देवलिया पार्क में पर्यटकों के लिए विशेष प्रकार की 70 जिप्सी लगाई गई है| एक जिप्सी में 6 लोगों के बैठने की व्यवस्था है| पहली दफा देवलिया पार्क में 25 महिला गाईड को ट्रेनिंग देकर तैयार किया गया है, जो पर्यटकों को गिर अभायरण्य, शेर और जंगल की जैविक विविधता समेत पर्यावरण संबंधी जानकारी देंगी| गिर अभयारण्य सोमनाथ के उत्तर-पूर्व में 43 किमी, जूनागढ़ के दक्षिण-पूर्व में 65 किमी और अमरेली से 60 किमी दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। जिसका कुल क्षेत्रफल 1,412 किमी है, जिसमें से 258 किमी पूरी तरह से राष्ट्रीय उद्यान और 1,153 किमी वन्यजीव अभयारण्य के रूप में है। यह काठियावाड़-गिर शुष्क पर्णपाती जंगलों का हिस्सा है। आज गिर एशिया का एक सिर्फ ऐसा क्षेत्र है जहाँ पर एशियाई शेर हैं। इसके साथ ही इसकी समर्थित प्रजातियों की वजह से आज गिर एशिया का एक सबसे खास संरक्षित क्षेत्र बन गया। गिर को संरक्षित करने में सरकारी वन विभाग, वन्यजीव कार्यकर्ताओं और एनजीओ का बड़ा योगदान रहा है। इन सभी संगठनों के प्रयास की वजह से आज गिर का इकोसिस्टम पूरी संरक्षित है।
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