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गौशाला हवा में सड़कों पर घूमने को मजबूर गौवंश,लोग हो रहे दुर्घटनओं के शिकार

गौशाला हवा में सड़कों पर घूमने को मजबूर गौवंश,लोग हो रहे दुर्घटनओं के शिकार

गौशाला हवा में सड़कों पर घूमने को मजबूर गौवंश,लोग हो रहे दुर्घटनओं के शिकार 
अलीगढ़ । जैसे ही प्रदेश की कमान योगी आदित्यनाथ के हाथ में आयी, तो उन्होंने किसानों के हित में योजनाओं को संचालित किया। इसके बाद में सड़कों पर घूमने वाले आवारा गोवंश को लेकर योजनाएं तैयार की गईं। प्रदेश के प्रत्येक जिले के प्रत्येक गांव में अस्थायी गोशाला खोलने के निर्देश दिए। इन गोशाला को खुलवाने का उद्देश्य ये था कि जो छुट्टा गोवंश सड़क पर और खेतों में घूम रहे हैं। उनको पकड़कर इसमें रखा जाए, ताकि इन जानवरों की वजह से कोई दुर्घटना न हो सके और गोंवश को भी चोट न लगे। छुट्टा गोवंश किसानों की फसलों को तबाह न कर सकें। शासन के निर्देश के बाद में जिला प्रशासन की ओर से प्रत्येक ग्राम पंचायत में अस्थायी गोशाला बनाने का काम शुरू किया गया। जिला प्रशासन की मानें तो अब तक जिले में अस्थायी गोशाला बनाई जा चुकी है। सबसे ज्यादा खराब हालात शहर के हालात अभी भी काफी खराब हैं। शहर के किसी भी इलाके में चले जाओ, वहां पर छुट्टा गोवंश घूमते हुए मिल जाएंगे। प्रशासन की ओर से लगातार निर्देश मिलने के बावजूद भी पालिका प्रशासन की ओर से मनचाहे तरीके से काम किया जा रहा है। 
जनपद में विभिन्न रास्तों पर बेसहारा पशुओं का जमावड़ा लगा रहता है। अक्सर यह पशु आपस में लड़ते हुए वाहन सवार और पैदल चलने वाले लोगों से टकराकर उन्हें घायल कर देते हैं। हाईवे पर तेज रतार वाहन भी कई बार इन्हीं पशुओं को बचाने के फेर में दुर्घटना का शिकार बन रहे हैं। वहीं कस्बा जंवा के सुमेरा झाल स्थित कॉलौनी में एक वर्ष पूर्व गबौशाला का निर्माण मात्र दिखावे के लिये कराया गया है, जिसमें । ग्राम प्रधान ने ताला लगा रखा है। जिसके चलते सड़क पर गौवंश आवारा घूम रहे हैं,सड़क दुर्घटनाओं और गौवंश की मौतों का जिम्मेदार कौन होगा। जिला प्रशासन या खोखले दावे करने वाली संस्थायें।  
नगर निगम और नगर पालिकाओं द्वारा आवारा पशुओं को पकडने के लिए किए गए सारे प्रयास मौजूदा स्थिति को देखते हुए फेल नजर आ रहे हैं। मुख्य मार्गों पर बेसहारा जानवरों के दर्जनों झुंड अलग-अलग हिस्सों में उपद्रव करते रहते हैं। ऐसे में सरकार के गोवंश को बचाने के दावे खोखले नजर रहे है। गोवंश की सुध लेने कोई गोशाला और कोई समाजसेवी संस्था आगे नहीं आ रही है। 
जिले से 20 कि.मी दूर कस्बा जंवा के सुमेरा झाल सिकंदरपुर कॉलौनी पर शाम होते ही दर्जनों छुट्टा जानवर सड़क पर नजर आने लगते है।  
 सिद्धपीठ शनिदेव मंदिर अनूपशहर रोड़ सुमेरा झाल के महन्त एवं चम्बल घाटी विनोवा भावे मिशन के सदस्य नागा बाबा प्रेमगिरी एवं महेन्द्र गिरी का कहना है कि  
कि लगभग हर दिन शाम होते ही छुट्टा जानवर सड़क के बीचो-बीच दर्जनों की संख्या में झुंड बनाकर खड़े हो जाते है। जो एक बड़ी दुर्घटना का सबब है।कई राहगीरों को छुट्टा जानवर मार भी चुके है। और कई लोग गिर कर चोटिल भी हो चुके है। बताते चले कि सुमेरा झाल पर शाम होते ही छुट्टा जानवरों का हुजूम सा लग जाता है। दर्जनों की संख्या में छुट्टा जानवर सड़क के दोनों तरफ इक्कठा हो जाते है। छुट्टा जानवरों के मारने की वजह से कई बार लोग गिर कर चोटिल भी हो चुके है। फिर भी इस तरफ किसी का ध्यान नही जा रहा है। प्रदेश की सरकार ने छुट्टा जानवरों को गौशाला में रखने का जो फरमान जिले के आला अधिकारियों को जारी किया था। शायद वो फरमान अलीगढ़ जिले में लागू नही होता है या जिले के जिम्मेदार अधिकारी प्रदेश के मुखिया के फरमान को नजरअंदाज कर रहे है। प्रदेश की सरकार ने जिले में गौशाला तो बनवाई मगर उन गौशालाओ में जानवरों को रखना भूल गयी। सुमेरा झाल कॉलौनी में छुट्टा जानवरों को गौशाला में रखने के लिए विकास खण्ड में गौशाला का निर्माण तो किया गया मगर अभी तक गौशाला में छुट्टा जानवरों को नही रखा गया है। जिस से राहगीर तो चोटिल हो ही रहे है। और साथ ही साथ किसानों के फसलों का भी नुकसान हो रहा है। इतना ही नहीं सड़क दुर्घटनाओं में एक सप्ताह के अंदर दो व्यक्तियों की आवारा घूम रहे गौवंश से टकरा कर मौत भी हो चुकी है,तथा दो गाय व दो दो सांड़ भी मर चुके हैं,लेकिन फिर भी शिकायत करने के बाबजूद भी ग्राम प्रधान रामफूल व बीडीओ,सेकेटरी समेत अन्य अधिकारियों से सड़क पर घूम रहे गौवंश को गौशाला में रखने के लिये शिकायत की गई है,लेकिन आज तक किसी के कांनों पर जूं तक नहीं रेंगी है। 

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