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" अच्छे संस्कार ही संस्कृति को बचाएंगे" : आचार्यश्री आर्जव सागर

" अच्छे संस्कार ही संस्कृति को बचाएंगे" : आचार्यश्री आर्जव सागर

" अच्छे संस्कार ही संस्कृति को बचाएंगे" : आचार्यश्री आर्जव सागर
भोपाल । आचार्य गूरूवर 108 श्री आर्जव सागर जी महाराज जी के मंगल सानिध्य में अशोका गार्डन में चल रहे चतुर्मास में कईं धार्मिक अनुष्ठान चल रहे हैं एवं कईं श्रद्धालु प्रतिदिन जिनेन्द्र देव के अभिषेक एवं वंदना कर रहे हैं।आज सभी आस पास के जिनालयों की। महिला मंडलों एवं सोशल ग्रूप द्वारा आचार्य श्री कि पूजा करने हेतु धर से ही महिलाओं ने अष्ट द्रव्यों की थाल सजाकर विशेष विधी विधान से पूजा की गई ,जिसमें सभी महिला मंडलों ने केसरिया वस्त्र धारण किये हुए थे एवं जिसके पश्चात पंडाल में उपस्थित सभी महिला मंडलों ने आचार्य श्री विधासागर महामुनि राज के जयाकारे लगाऐ जिससे पुरा पंडाल गूंजाएमान हो गया।
जिसके पश्चात आज पुरी समाज को आचार्य गूरूवर ने यही संदेश दिया कि प्रसंग चाहे भगवान आदिनाथ के जन्म या राम जी का हो हमें उनके जीवन से कुछ ना कुछ अच्छाइयां जरूर गृहण करनी चाहिए महापुरुष कोई भी हो उनकी महानता को यदि हमने स्वीकार नहीं किया तो एक दिन हमें बहुत पछतावा करना पडेगा। आज आचार्य श्री जी ने आशीष वचनों में कहा कि चाहे जन्म जयंती हो या मोक्ष तिथि,वे सब तिथियां पूज्य व धन्य बन जाती है।महापुरुषों को हम केवल याद ही नहीं करना है वरन् उनके त्याग,संयम व शिक्षा रूपी उपदेश को जीवन में उतारना है,तभी तो अपनी आत्मा का उत्थान होगा।
आचार्य गूरूवर जी ने आगे बताते हुए कहा कि धर्म के रथ को हमें मिलकर आगे बढ़ाना है,तभी धर्म की प्रभावना व उसकी मूल शांति,सुख के साम्राज्य के पाने की अवधारणा पल्लवित व सुरक्षित हो पाएगी।केवल सुविधाओं अथवा भौतिक सम्पदा की अभिवृद्धि में ही जीवन निकलता रहा तो उससे अशांति के बादल और गहरे होंगे।उससे धर हो या समाज,सब जगह अशांति का बोलबाला बढ़ता है। आशीष वचन में विराम देते हुए कहा कि जब संस्कारों का क्षरण होता है,तभी तो संस्कृति लुप्त होती है।यदि संस्कार पावन बने रहे तो फिर संस्कृति की महानता सबको सुख शांति देती रहेगी।

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