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दिल्ली कोर्ट ने खारिज की चिदंबरम की याचिका, जेल में ही मनेगी दीपावली

दिल्ली कोर्ट ने खारिज की चिदंबरम की याचिका, जेल में ही मनेगी दीपावली

दिल्ली कोर्ट ने खारिज की चिदंबरम की याचिका, जेल में ही मनेगी दीपावली
नई दिल्ली । कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री पी  चिदंबरम को दिल्ली की विशेष अदालत ने आईएनएक्स मीडिया मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी की हिरासत अवधि बढ़ाकर 30 अक्टूबर कर दी है। चिदंबरम को जमानत नहीं मिलने से इस बार दीपावली का त्यौहार उन्हें जेल की सलाखों के पीछे ही मनाना पड़ेगा। उनका जन्मदिन भी जेल की सलाखों के पीछे ही गुजरा था।
कपिल सिब्बल ने पूर्व वित्तमंत्री के बीमार होने पर हैदराबाद में उनके इलाज के लिए दो दिन की अंतरिम जमानत मांगी थी, लेकिन जज ने उनकी इस अर्जी को ठुकरा दिया। जनरल तुषार मेहता ने चिदंबरम की याचिका का विरोध किया और कहा कि यदि एजेंसी की पूछताछ की अवधि को घटाया गया तो यह कोर्ट की गलती होगी। जज अजय कुमार कुहार ने गुरुवार को दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। 
कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय को चिदंबरम से पूछताछ की इजाजत देते हुए यह भी निर्देश दिया कि जरूरी होने पर चिदंबरम के स्वास्थ्य की जांच अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में करवाई जाएगी। चिदंबरम के जेल से बाहर आने में कई अड़चनें आ रही हैं। फिलहाल अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की हिरासत में ही रहेंगे। जस्टिस आर भानुमती की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अगस्त में सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी से पहले चिदंबरम एक साल से अधिक समय तक अग्रिम जमानत पर थे और वह अचानक भाग नहीं सकते।
चिदंबरम को 21 अगस्त को सीबीआई द्वारा भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार किया गया था। आरोप है कि वित्त मंत्री के रूप में चिदंबरम के कार्यकाल के दौरान 2007 में 305 करोड़ रुपए के विदेशी फंड प्राप्त करने के लिए आईएनएक्स मीडिया समूह को विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंजूरी में अनियमितता बरती गई थी। इस मामले में सीबीआई ने 15 मई, 2017 को एक प्राथमिकी दर्ज की थी। इसके बाद ईडी ने 2017 में इस संबंध में मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था। 74 वर्षीय वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने हाईकोर्ट के 30 सितंबर के फैसले को चुनौती देने वाली शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया, जिसने सीबीआई द्वारा दायर आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में अपनी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। हाईकोर्ट ने कहा था कि जांच के दौरान गवाहों को प्रभावित करने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।

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