सामरिक मामलों पर अपील में देरी की मिले छूट: सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में कहा कि सामरिक रूप से संवेदनशील मामलों में अपील दाखिल करने में देरी में छूट प्रदान की जानी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों को याचिका दायर करने में देरी के आधार पर अपील खारिज करने की बजाए केस की मेरिट पर गौर करना चाहिए। जस्टिस आर भानुमति, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस ऋषिकेश रॉय की पीठ ने देश की सुरक्षा सहित सामरिक रूप से महत्वपूर्ण एक मसले पर मणिपुर सरकार की अपील को स्वीकार करते हुए याचिका दायर करने में देरी के आधार पर सुनवाई से इनकार करने के हाईकोर्ट के फैसले को दरकिनार कर दिया। पीठ ने कहा कि देरी के कारण सामरिक रूप से संवेदनशील मामलों में अगर राज्य की अपील पर सुनवाई न की जाए तो जनहित प्रभावित होने का खतरा होता है। पीठ ने अपने फैसले में कहा कि सरकार का कामकाज व्यक्तिगत नहीं होता है। किसी एक अधिकारी द्वारा की गई लापरवाही से राज्य का संस्थागत हित प्रभावित होता है। किसी एक अधिकारी की गलती का खामियाजा राज्य को नहीं मिलना चाहिए। नौकरशाही में देरी से अदालत को अवगत रहना चाहिए। सरकारी निर्णयों में अकसर देरी होती है। किसी फैसले को चुनौती दी जानी चाहिए या नहीं, यह तय करने में राज्य द्वारा देरी की जाती है। समय पर अपील दाखिल करने पर याचिका पर सुनवाई न होने से वादियों को बेहद परेशानी होती है। अदालत का मानना है कि राज्य द्वारा अपील दायर करने में देरी पर रियायत नहीं मिलनी चाहिए लेकिन बात जब देश की सुरक्षा और सामरिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र से जुड़ा हो तो राज्य द्वारा की जाने वाली इस तरह की देरी में रियायत दी जानी चाहिए और मेरिट के आधार पर सुनवाई की जानी चाहिए। मौजूदा मामले में एक अदालती फैसले के जरिए सामरिक रूप से महत्वपूर्ण जमीन को किसी व्यक्ति को देेने का आदेश दिया था। इस मामले में मणिपुर सरकार, राज्य के पुलिस महानिदेशक और मणिपुर राइफल्स के 8वें बटालियन के कमांडर प्रतिवादी थे। राज्य को यह जमीन खाली करने के लिए कहा गया था। राज्य सरकार ने पहले इस फैसले के खिलाफ जिला जज के समक्ष अपील दायर की थी लेकिन वह उचित फोरम नहीं था। इस वजह से उचित अपीलीय अदालत में अपील दायर करने में राज्य सरकार व अन्य को करीब एक महीने की देरी हो गई। इस आधार पर उनकी अपील पर हाईकोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया। हाईकोर्ट ने पाया कि अपील दायर करने को लेकर सरकार के पास कोई वाजिब वजह नहीं थी। सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद-136 का इस्तेमाल करते हुए राज्य सरकार को उचित फोरम में अपील दायर करने की इजाजत दे दी है।
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