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सेना में समलैंगिकता की जगह नहीं

सेना में समलैंगिकता की जगह नहीं

सेना में समलैंगिकता की जगह नहीं
नई दिल्ली । सेना अनुशासन सुनिश्चित करने के लिए समलैंगिक संबंध और विवाहेतर संबंध (अडल्ट्री) को दंडनीय अपराध बनाए रखना चाहती है। इसके लिए रक्षा मंत्रालय के समक्ष अपना पक्ष रखा है । सेना ने यह मांग उच्चतम न्यायालय द्वारा दोनों मामलों को अपराध की श्रेणी से हटाने के फैसले के करीब एक साल बाद की है। सूत्रों ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि सैन्य कानून में समलैंगिक संबंध और व्यभिचार में पाए जाने वाले जवानों को सजा देने का प्रावधान है, लेकिन अब उसी कानून के अलग प्रावधानों के तहत दंडित किया जाएगा।
सेना की नजर में समलैंगिकता-अडल्ट्री अपराध
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल समलैंगिकता और अडल्ट्री को अपराध की श्रेणी से हटा दिया था। सूत्रों ने बताया कि सेना रक्षा मंत्रालय से इन मामलों को अपराध की श्रेणी से हटाए जाने को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि दोनों संबंधों को दंडनीय बनाए रखने से यह निवारक की तरह काम करेगा, अन्यथा यह गंभीर अनुशासन की समस्या बन जाएगी। इससे कमान और नियंत्रण की समस्या आएगी। पत्रकारों से बुधवार को संवाद करते हुए भारतीय सेना में ऐडजुटैन्ट जनरल, जनरल अश्विनी कुमार ने कहा कि कुछ मामले कानूनी रूप से सही हो सकते हैं, लेकिन नैतिक रूप से गलत होते हैं।

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