मनुष्य की आंखों पर भी वायू प्रदूषण का पड़ता हैं असर
नई दिल्ली। देश में चल रहे वायू प्रदूषण का देखते हुए मेडिकल विशेषज्ञों ने दावा किया कि खराब वायु गुणवत्ता से आंखों में कई समस्याएं भी हो सकती हैं, जिसमें कोर्निया को होने वाली क्षति भी शामिल है। हालांकि विशेषज्ञों की माने तो नाक और मुंह की तरह आंखों को ढकना काफी मुश्किल है। इससे फेफड़ों की तरह ही आंखों पर भी वायू प्रदूषण का बुरा असर पड़ता है। उन्होंने बताया कि आंख की ओकुलर सतह वातावरण के सीधे संपर्क में आती है, इसलिए यह पोल्यूशन से सबसे ज्यादा प्रभावित होती है। साथ ही विशेषज्ञों ने बताया, कई सालों तक प्रदूषण के संपर्क में रहने के कारण कोरोना को क्षति पहुंचती है और यह तुरंत नहीं होता है। अगर ड्राइ आई की समस्या लंबे समय तक रहती है, तो यह भी कोरोना को क्षतिग्रस्त कर सकती है, जिससे लंबे समय में दृष्टि प्रभावित होती है। बताया जाता है कि खुजली होने पर आंखों को रगड़ने से भी कोरोना पर असर पड़ता है। पोल्यूशन के संपर्क से ड्राइ आई की समस्या या आंखों के पानी की गुणवत्ता खराब हो जाती है। इससे आंखों में खुजली, परेशानी और लाल होने की समस्याएं होने लगती है। वही, एक अन्य विशेषज्ञ का कहना है कि जो लोग कांटैक्ट लेंस पहनते हैं, उन्हें जोखिम और बढ़ जाता है, क्योंकि उनकी आंखें पहले से ही ड्राई होती हैं। इसके अलावा ऑप्थामोलोजिस्ट्स ने कहा कि प्रदूषण बढ़ने से ओपीडी में एलर्जी के इलाज के लिए आनेवाले मरीजों की संख्या बढ़ी है। विशेषज्ञों का कहना है कि आंखों में खुजली, परेशानी और नजर कमजोर होने की समस्या से पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ी है तथा इम्युनिटी कम होने के कारण ड्राई आई और अन्य संक्रमण बढ़े हैं। विशेषज्ञों ने कहा कि वायु प्रदूषण से केवल फेफड़े या श्वसन तंत्र प्रभावित होते हैं।
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