(इस्लामाबाद) रहमान ने दी चेतावनी- मांगे नहीं मानी तो पाक में अराजकता फैलेगी
इस्लामाबाद (ईएमएस)। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के इस्तीफे की मांग करने वाले आजादी मार्च का नेतृत्व कर रहे नेता एवं मौलाना फज़ल-उर-रहमान ने कहा कि यह विशाल धरना राष्ट्रीय जिम्मेदारी पूरी करने के लिए हो रहा है न कि मुजरा करने के लिए। रहमान ने चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गई, तो निश्चित रूप से अराजकता फैलेगी। अगर सरकार बीच का रास्ता ढूंढना और गतिरोध तोड़ना चाहती है तो उसे विपक्षी दलों को अपने सुझाव देने चाहिए। दक्षिणपंथी जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम फजल (जेयूआई-एफ) के नेता एक बड़े प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे हैं जो बुधवार को छठे दिन भी जारी रहा। आजादी मार्च कहे जा रहे इस प्रदर्शन में प्रदर्शनकारियों ने खान पर 2018 के आम चुनावों में धांधली करने का आरोप लगाते हुए उनसे इस्तीफा मांगा है। रहमान ने कहा कि छह दिन से चल रहा सरकार विरोधी धरना राष्ट्रीय जिम्मेदारी पूरी करने के लिए हो रहा है और इसके लिए बहुत प्रयास किए गए हैं।
रहमान ने प्रदर्शनकारियों से कहा कि अगर मांगे नहीं मानी गई तो निश्चित रूप से अराजकता होगी। पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) समेत विपक्षी दलों ने भी सरकार विरोधी प्रदर्शन को समर्थन दिया है। पंजाब विधानसभा के अध्यक्ष चौधरी परवेज इलाही और पीएमएल-क्यू अध्यक्ष चौधरी शुजात हुसैन के साथ मुलाकात के बाद मीडिया से बात करते हुए रहमान ने कहा कि सकारात्मक जवाब की स्थिति अभी नहीं बनी है। यह हर किसी का देश है, जब जहाज डूबता है तो हम सभी डूबते हैं। देश में अशांति है और यह हर किसी की जिम्मेदारी है कि इस अशांति को खत्म किया जाए। रहमान ने कहा कि अगर पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) सरकार बीच का रास्ता ढूंढना चाहती है तो उसे सुझाव रखने चाहिए, फिर विपक्ष देखेगा। उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तान निर्वाचन आयोग (ईसीपी) ने खुद स्वीकार किया है 95 फीसदी फॉर्म में हस्ताक्षर नहीं थे और पूछा कि क्यों संसदीय आयोग एक साल से सक्रिय नहीं था। जेयूआई-एफ नेता ने कहा कि इमरान जुल्फिकार अली भुट्टो से बड़ी शख्सियत नहीं हैं अगर वह दोबारा चुनाव करा सकते थे तो इमरान क्यों नहीं?
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