स्कूलों में जलवायु परिवर्तन की 'शिक्षा' को इटली ने किया अनिवार्य
विश्व में हो रहे जलवायु परिवर्तन को लेकर पूरी दुनिया चिंतित है पर अमेरिका ने इसके अंतर्गत पेरिस समझौते से अपने को अलग कर लिया है। इस गंभीर मुद्दे को इटली ने स्कूली बच्चों के पाठ्यक्रम में अनिवार्य रूप से शामिल कर लिया है। ऐसा करने वाला इटली दुनिया का पहला देश बन गया है। शिक्षा मंत्री लॉरेंजो फिओरामोंटी ने बताया कि अगले साल सितंबर से शुरु होने वाले शिक्षा सत्र की शुरुआत से ही देश के सभी स्कूल जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर सप्ताह में कम से कम एक घंटा जरूर देंगे।
उन्होंने बताया कि स्थिरता और जलवायु को अपने शिक्षा मॉडल का केंद्र बनाने के लिए मंत्रालय को भी बदला जा रहा है। इसके अलावा बाकी विषयों भूगोल, गणित और भौतिकी की पढ़ाई को पहले की तरह जारी रखेंगे। उल्लेखनीय है कि जलवायु परिवर्तन को लेकर चिंतित 153 देशों के 11 हजार से ज्यादा वैज्ञानिकों ने जलवायु आपातकाल का ऐलान कर दिया है। इन वैज्ञानिकों ने चेताया है कि यदि भूमंडल के संरक्षण के लिए तत्काल कदम नहीं उठाए जाते हैं तो ‘अनकही पीड़ा’ सामने आएगी। इन वैज्ञानिकों ने एकदम स्पष्ट रूप से कहा है कि पर्यावरण को लेकर दुनिया को अब गंभीर कदम उठाने की जरूरत है। भारत और चीन जैसे देशों में बढ़ते प्रदूषण के बीच इन वैज्ञानिकों ने जलवायु आपातकाल की घोषणा ‘बायोसाइंस पत्रिका’ में एक शोध रिपोर्ट में प्रकाशित की है। इस पर हस्ताक्षर करने वाले वैज्ञानिकों ने लिखा है, ‘हमारा यह नैतिक दायित्व है कि हम किसी भी ऐसे संकट के बारे में स्पष्ट रूप से आगाह करें जिससे महान अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा हो।’
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स्कूलों में जलवायु परिवर्तन की 'शिक्षा' को इटली ने किया अनिवार्य