चीन में 12 घंटे काम को लेकर 64 फीसदी भारतीय परिवार को नहीं दे पा रहे समय
चीन की सूचना तकनीक से जुड़ी टेक कंपनियों में बढ़ते काम के घंटों का असर वहां कार्यरत भारतीयों पर पड़ रहा है। चीन के ‘996’ वर्क कल्चर (सुबह 9 बजे से रात 9 बजे तक हफ्ते में 6 दिन काम) से भारतीय कंपनियां काफी असहज हो रही हैं। काम के दबाव के चलते हर 3 में से 1 वर्किंग प्रोफेशनल अपने बच्चों को क्वॉलिटी टाइम नहीं दे पा रहा है। यह बात वर्क प्रेशर से उनकी क्वॉलिटी लाइफ पर पड़ने वाले असर पर गोदरेज के हालिया सर्वे ‘मेक स्पेस फॉर लाइफ’ से सामने आई है। गोदरेज इंटीरियो के सर्वे के मुताबिक ज्यादातर भारतीय मानते हैं कि कामकाज और परिवार के साथ तालमेल बिठाने में उन्हें दिक्कत हो रही है। चीन की बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियों और स्टार्टअप्स में लगभग एक दशक से हफ्ते के छह दिन और हर दिन सुबह नौ बजे से रात नौ बजे तक काम करने का चलन है। यंग टेक ऑन्त्रप्रेन्योर्स के लिए आदर्श माने जाने वाले ग्लोबल ई-कॉमर्स फर्म अलीबाबा के संस्थापक जैक मा ज्यादा वर्किंग आवर्स को ‘बड़ा वरदान’ मानते हैं। इसकी कॉम्पिटिटर जेडीडॉटकॉम के कर्ताधर्ता रिचर्ड लियू कहते हैं कि दिन बर्बाद करने वाले मेरे भाई नहीं हो सकते।
गोदरेज इंटेरियो के सीओओ अनिल माथुर के मुताबिक लोगों की यह सोच एकदम गलत साबित हो रही है कि टेक्नोलॉजी उनकी जिंदगी आसान बना सकती है। उनका कहना है कि उल्टे यह काम के बढ़ते दबाव के चलते लोगों को परिवार और बच्चों से दूर कर रही है। गोदरेज की स्टडी में शामिल 64 फीसदी लोगों का मानना है कि वे परिवार को समय नहीं दे पा रहे हैं जबकि 28 फीसदी को खुद से शिकायत है कि वे जीवनसाथी के साथ क्वॉलिटी टाइम नहीं गुजार पा रहे हैं। गोदरेज के सर्वे में भाग लेने वाले 21.2 फीसदी प्रोफेशनल्स का कहना है कि वे दोस्तों को समय नहीं दे पाते हैं। 61 फीसदी को सबसे ज्यादा तकलीफ इस बात की है कि कामकाज की आपाधापी में उन्हें अपने शौक के लिए वक्त नहीं मिल रहा है। इतने ही लोगों का मानना है कि पारिवारिक जिम्मेदारियां भी शौक को जेहन में जड़ जमाने नहीं दे रही हैं।