आईयूसी मामले में वोडा-आइडिया, एयरटेल ने जियो के आरोप को नकारा
इंटरकनेक्ट यूसेज चार्ज (आईयूसी) के बारे में रिलायंस जियो इन्फोकॉम के आरोप को भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया ने सिरे से खारिज कर दिया है। जियो ने कहा था कि जीरो आईयूसी करने के फैसले को अगर टाला जाता है तो इससे दोनों पुरानी टेलिकॉम कंपनियां अपने यूजर्स को 2जी पर ही रखना चाहेंगी और 4जी पर अपग्रेड करने से बचेंगी।
एयरटेल और वोडाफोन आइडिया का कहना है कि जियो ने कन्ज्यूमर की पसंद के सिद्धांतों को अनदेखा कर दिया है, विशेषतौर पर जब सब्सक्राइबर्स के पास टेलिकॉम ऑपरेटर को बदलने की स्वतंत्रता है। मुकेश अंबानी की जियो ने कहा था कि अगर टेलिकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) ने आईयूसी को समाप्त करने की डेडलाइन जनवरी 2020 से आगे बढ़ाई तो यह इन दोनों कंपनियों (एयरटेल और वोडाफोन आइडिया) को सब्सक्राइबर्स को नुकसान पहुंचाकर सब्सिडी देने जैसा होगा। जियो ने कहा था कि यह ट्राई के अधिकार क्षेत्र में शामिल नहीं है और ट्राई को कन्ज्यूमर्स को अधिकतम फायदा देने और नई टेक्नॉलजी लाने पर ध्यान देना चाहिए। कन्ज्यूमर्स के प्रमुख संगठन टेलिकॉम यूजर ग्रुप (टीयूजी) ने भी जियो की राय का समर्थन किया है। टीयूजी का कहना है कि शून्य आईयूसी को अगले वर्ष जनवरी से लागू करना चाहिए क्योंकि इससे कॉस्ट घटेगी, इनोवेशन में तेजी आएगी और यूजर्स को फायदा होगा।
हालांकि, वोडाफोन आइडिया ने ट्राई से जियो के 'आधारहीन आरोपों' को दरकिनार करने के लिए कहा है क्योंकि मोबाइल कस्टमर्स को एक ऑपरेटर से अन्य के पास जाने के लिए पोर्ट करने की सुविधा उपलब्ध है। इसके साथ ही वोडाफोन आइडिया ने कहा कि हर महीने लगभग 80 लाख 2जी/3जी डिवाइसेज की बिक्री से भी कन्ज्यूमर डिमांड और पसंद का संकेत मिलता है। एयरटेल का कहना है कि जियो पुरानी कंपनियों के 2जी नेटवर्क को बंद करवाना चाहती है जिससे वह अधिक भुगतान करने वाले यूजर्स को 4जी सर्विसेज उपलब्ध करा सके। सुनील मित्तल की अगुवाई वाली एयरटेल ने जियो के इस आरोप को भी गलत बताया कि पुरानी टेलिकॉम कंपनियां टर्मिनेशन चार्ज हासिल करने के लिए 2जी टेक्नॉलजी का इस्तेमाल कर रही हैं। आईयूसी का भुगतान कॉल की शुरुआत वाली टेलिकॉम कंपनी उस टेलिकॉम ऑपरेटर को करती है जिसके नेटवर्क पर कॉल जाती है। एयरटेल और वोडाफोन आइडिया के लिए यह चार्ज रेवेन्यू का एक जरिया है, जबकि जियो को इससे नुकसान होता है। जियो ने ट्राई से कहा है, 'अगर पुरानी टेलिकॉम कंपनियां वित्तीय मुश्किलों का सामना कर रही हैं तो उन्हें अपने बैंकर्स, इन्वेस्टर्स और सरकार से राहत लेनी चाहिए। ये कंपनियां यूजर्स से ऐसी उम्मीद नहीं कर सकती।'
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