मांझी का महागठबंधन छोड़ने का फैसला, भाजपा के साथ जाने की सुगबुगाहट
बिहार की सियायत में अब एक और धमाका होने वाला है यहां के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्यूलर) के अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने महागठबंधन से अलग होने का फैसला कर लिया है। मांझी ने महागठबंधन में समन्वय समिति नहीं होने और सर्वसम्मति से निर्णय नहीं होने का आरोप लगाते हुए ऐलान कर दिया है कि वो बिहार और झारखंड में अकेले दम पर चुनाव लड़ेंगे। इस बीच ताजा घटनाक्रम को देखते हुए भाजपा के घोषणा के बाद उनके भाजपा के साथ जाने की सुगबुगाहट बढ़ गई हैं।
बताया जा रहा है कि महागठबंधन से अलग होने की मांझी की घोषणा के साथ ही भाजपा नेताओं का उनसे मिलने-जुलने का सिलसिला बढ़ गया है। गुरुवार को भाजपा के एमएलसी संजय पासवान ने मांझी से मुलाकात की थी। इसके बाद शुक्रवार को भाजपा विधायक रामप्रीत पासवान भी उनके मिलने पहुंचे। हालांकि इस दौरान दोनों के बीच क्या बातें हुईं इसको लेकर कुछ खुलासा नहीं हुआ है। भाजपा नेताओं से मुलाकात पर मांझी ने सफाई देते हुए कहा कि इसमें कोई राजनीतिक बात नहीं है। ये लोग व्यक्तिगत कारणों से मिलने आए थे और मैं एनडीए में शामिल नहीं हो रहा हूं।
इससे पहले गुरुवार को जीतनराम मांझी ने पटना के 12 एम स्ट्रैंड रोड स्थित आवास पर पार्टी के सभी जिला अध्यक्षों, राज्य और केंद्रीय कार्यकारिणी की बैठक में आरोप लगाया कि उनके बार-बार कहने के बाद भी महागठबंधन में को-ऑर्डिनेशन कमेटी का गठन नहीं हो पाया। इस वजह से गठबंधन के सहयोगियों में तालमेल का अभाव है। ऐसी स्थिति में अकेले चुनाव लडना ही बेहतर होगा। बैठक में पार्टी ने झारखंड विधानसभा चुनाव 2019 अकेले लड़ने और उम्मीदवारों के चयन की घोषणा 10 नवंबर तक करने का निर्णय लिया। साथ ही, इस चुनाव को लेकर आगे की रणनीति तय करने के लिए पार्टी के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव डॉ. संतोष कुमार सुमन को अधिकृत कर दिया।
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