11 नवंबर से शुरू होगा सोमनाथ में कार्तिक पूर्णिमा का मेला
महा चक्रवाती तूफान के खतरे को देखते हुए सोमनाथ में होनेवाले कार्तिक पूर्णिमा के मेले को रद्द कर दिया था| लेकिन गुजरात से चक्रवाती तूफान का खतरा टल जाने से अब इसे 11 नवंबर से आयोजित करने का फैसला किया गया है|
सौराष्ट्र के समुद्र तट पर बिराजमान भगवान सोमनाथ के सानिध्य में 6 दशक से भी अधिक समय से कार्तिक पूर्णिमा का मेला लगता रहा है| वर्ष 1955 में सोमनाथ ट्रस्ट के अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई सोमनाथ में कार्तिक पूर्णिमा के मेला के प्रारंभ करवाया था| शुरुआत में मेला 3 दिन का होता था, परंतु पिछले 10 साल से मेला पांच दिनों का हो गया| मेला को लेकर ऐसी मान्यता है कि कैलाश महा मेरूप्रसाद के नाम से पहचाने जाते इस भव्य देवालय के शिखर पर कार्तिक पूर्णिमा की रात चंद्र का विशेष प्रकाश पड़ता है| पूर्णिमा की रात 12 बजे भगवान शिव की जब पूजा होती है, तब चंद्रमा की स्थिति सोमनाथ मंदिर के शिखर ऐसी होती है, मानो भगवान शिव ने चंद्रमा को अपने मस्तक पर धारण कर लिया हो| यह भी कहा जाता है कि सोमनाथ जैसे प्राचीन शिवालय में कुमारपाल ने विक्रम संवत 1225 में सोमनाथ का जीर्णोद्धार कर कार्तिक पूर्णिमा को प्राण प्रतिष्ठा की थी| इससे पहले भीमदेव प्रथम ने संवत 1086 में सोमनाथ महादेव की पूजा-अर्चना कार्तिक पूर्णिमा को ग्रामदान किया था| गुजरात पर महा चक्रवात के खतरे को देखते हुए आगामी मंगलवार को सोमनाथ में होनेवाले कार्तिक पूर्णिमा के मेले को रद्द कर दिया गया था| वर्ष 1955 के बाद यह पहला मौका पर जब कार्तिक पूर्णिमा का मेला रद्द किया गया था| लेकिन अब गुजरात से महा चक्रवाती तूफान का खतरा टलने से सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट ने कार्तिक पूर्णिमा का मेला निर्धारित समय पर आयोजित करने का फैसला किया है| सोमनाथ में कार्तिक पूर्णिमा का मेला 11 नवंबर से प्रारंभ होगा और 15 नवंबर को इसका समापन होगा|
नेशन वेस्ट
11 नवंबर से शुरू होगा सोमनाथ में कार्तिक पूर्णिमा का मेला