पराली से बन सकती है बिजली, एनआरआई कारोबारी ने दिया 200 संयंत्र लगाने का प्रस्ताव
एक भारतीय एनआरआई कारोबारी ने पराली जलाने से उत्पन्न प्रदूषण की समस्या से निजात दिलाने के लिए अपने गृहराज्य पंजाब में एक संयंत्र स्थापित करने प्रस्ताव दिया है, जिससे करीब 1000 मेगावाट बायोमास ऊर्जा उत्पन्न की जा सकेगी। अमेरिका के चिरंजीवी कथूरिया ने कहा कि उनकी कंपनी न्यू जेनरेशन पावर इंटरनेशनल पंजाब में 4000 मेगावाट बिजली परियोजना में निवेश करने की योजना बना रही है। समाचार के मुताबिक इन परियोजनाओं से 3,000 मेगावाट सौर ऊर्जा और बाकी धान और गेहूं की फसलों की पराली से बने बायोमास का प्रयोग कर बिजली उत्पन्न की जाएगी। उनके अनुसार, किसानों से पराली खरीदी जाएगी, ताकि वे उसे जलाएं नहीं। इससे पर्यावरण प्रदूषण में भी कमी आएगी। पराली जलाना उत्तर भारत की एक गंभीर समस्या है।
परियोजना के तहत 200 संयंत्र लगाने की योजना है, हर संयंत्र की क्षमता 5 मेगावाट है। इन संयंत्रों में कच्चे माल के रूप में पराली का प्रयोग किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हर संयंत्र एक मेजर सब-स्टेशन के पास स्थित होगा और इसके दायरे में 10 से 15 गांव रहेंगे।
राज्य के राजस्व मंत्री गुरप्रीत कांगर ने कहा कि इन संयंत्रों से तैयार बिजली सीधे मुख्य ग्रिड में पहुंचाई जाएगी। इससे पंजाब स्टेट पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड को अतिरिक्त बिजली का लाभ भी मिलेगा। मंत्री ने कहा कि इस पहल में 25,000 करोड़ रुपये की लागत आएगी और इसे कथूरिया द्वारा 'बिल्ड-ऑपरेट-एंड-ट्रांसफर' फॉर्मेट में स्थापित किया जाएगा।
मंत्री ने कहा, 'सौर ऊर्जा क्षेत्र में उनकी उपलब्धियों और नई तकनीकों के जरिए ऊर्जा उत्पन्न करने की क्षमता को देखते हुए मुझे यकीन हुआ कि इस क्षेत्र में कथूरिया की विशेषज्ञता की मदद से हम पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त कर सकेंगे और पराली की समस्या का समाधान कर सकेंगे।'
वहीं, कृषि विभाग के अधिकारियों ने कहा कि हर साल धान की फसल के बाद पंजाब करीब 2 करोड़ टन पराली के निपटान की समस्या से गुजरता है। वहीं एक अनुमान के अनुसार, धान की करीब 85-90 प्रतिशत परालियों को खेतों में ही जला दिया जाता है।
विपिन/ ईएमएस/ 09 नवम्बर 2019
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