लोगों पर कोई एक भाषा नही थोपना चाहिए: महेश भट्ट
प्रख्यात फिल्मकार महेश भट्ट ने सभी क्षेत्रीय भाषाओं को महत्व देने की ममता बनर्जी की मांग का प्रत्यक्ष तौर पर समर्थन किया है। इस दौरान उन्होंने कहा कि किसी को भी किसी पर कोई एक भाषा थोपनी नहीं चाहिए और सभी को अपनी मातृभाषा में बोलने की इजाजत मिलनी चाहिए। दरअसल, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सितंबर में कहा था कि हिंदी पूरे देश को जोड़ने वाली भाषा है। इस पर भट्ट ने जोर देकर कहा कि देश के महापुरुषों ने अपनी मातृभाषा में बात कहने की वकालत की थी। उन्होंने कहा कि भारत की महानता उसकी विविधता में है। हालांकि भट्ट ने शाह या किसी अन्य नेता का नाम नहीं लिया है। 25वें कोलकाता फिल्म महोत्सव के उद्घाटन में उन्होंने कहा, "जब तक फिल्मकार और कलाकार हैं तब तक हम उन्हें चुनौती देते रहेंगे जो हमें एक ही भाषा में बात करने को कहते हैं।" वहीं, उन्होंने अपनी बात को पुख्ता करने के लिए रामकृष्ण परमहंस, भगिनी निवेदिता और स्वामी विवेकानंद का उदाहरण भी दिया। हालांकि शाह ने सितंबर में हिंदी दिवस कहा था कि चूँकि हिंदी सर्वाधिक बोली जाती है इसलिए यह देश को एक कर सकती है। वहीं, भट्ट ने फिल्म महोत्सव के उद्घाटन में कहा कि रामकृष्ण परमहंस में यह कहने की हिम्मत थी कि हमें सभी व्यक्तियों से उनकी ही भाषा में बात करनी चाहिए। उन्होंने कहा, "यह बंगाल की आवाज है, यह इस देश के महात्माओं और साधुओं की आवाज है कि भगवान के लिए किसी व्यक्ति से उसकी ही भाषा में बात करो। अपनी भाषा उस पर मत थोपो।"
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(कोलकाता) लोगों पर कोई एक भाषा नही थोपना चाहिए: महेश भट्ट