कारसेवा के दौरान फायरिंग में मारे गए लोगों के परिजनों ने अयोध्या के निर्णय को सराहा
राम जन्मभूमि-बाबरी विवाद पर फैसला आने के बाद 29 साल पहले पुलिस फायरिंग में मारे गए कारसेवकों के परिवारवालों ने निर्णय को सराहा है। उन्होंने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला उनके लिए दिवाली और होली के त्योहार के जैसा है। 1990 में रामजन्मभूमि पर कारसेवा के दौरान हुई पुलिस फायरिंग में बंगाल निवासी दो भाइयों 22 वर्षीय राम कोठारी और 20 वर्षीय शरद कोठारी की मौत हो गई थी। कोठारी भाइयों की बड़ी बहन पूर्णिमा ने कहा, 'हमारा पूरा परिवार बहुत खुश है। हमने न्याय के लिए 29 सालों का इंतजार किया। राम मंदिर के लिए लड़ते हुए मेरे भाइयों की मौत हुई, अब उनकी आत्मा को शांति मिलेगी। यह हमारे लिए होली और दिवाली के त्योहार की तरह है।' मध्य कोलकाता के बुर्रा बाजार में रहने वाली पूर्णिमा ने बताया कि कोठारी भाई नियमित तौर पर उनके घर के पास लगने वाली राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की शाखा में जाते थे। वे विश्व हिंदू परिषद के आह्वान पर कारसेवा के लिए अयोध्या गए थे। उस समय हुई फायरिंग में कोठारी बंधु समेत दर्जनों लोगों की मौत हो गई थी। पूर्णिमा ने कहा कि पवित्र स्थल (राम जन्मभूमि) पर जब मंदिर निर्माण शुरू होगा तो उनका परिवार वहां जाकर कार सेवा के दौरान मारे गए सभी लोगों को श्रद्धांजलि देगा।
नेशन रीजनल ईस्ट
कारसेवा के दौरान फायरिंग में मारे गए लोगों के परिजनों ने अयोध्या के निर्णय को सराहा