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रतलाम लोकसभा पर कांग्रेस के कां‎तिलाल भूरिया का दबदबा बरकरार - 2014 के लोकसभा चुनाव में ‎मिली हार को उपचुनाव में जीत में बदल ‎दिया

रतलाम लोकसभा पर कांग्रेस के कां‎तिलाल भूरिया का दबदबा बरकरार  - 2014 के लोकसभा चुनाव में ‎मिली हार को उपचुनाव में जीत में बदल ‎दिया

मध्य प्रदेश की रतलाम लोकसभा सीट साल 2009 में अस्तित्व में आई।  2009 से पहले इस सीट को झाबुआ के नाम से ही जाना जाता था। इस लोकसभा सीट पर  कांग्रेस के दिग्गज नेता कांतिलाल भूरिया का ही दबदबा रहा है। इस सीट पर पहले भाजपा  के दिलीप सिंह भूरिया से उनको टक्कर मिलती थी, लेकिन उनके निधन के बाद अब उनकी बेटी निर्मला भूरिया कांग्रेस के इस दिग्गज नेता से मुकाबला करती हैं। जहां  2014 में कांतिलाल भूरिया को दिलीप सिंह ने मात दी थी, लेकिन दिलीप सिंह के निधन के बाद यहां पर उपचुनाव हुआ तो एक बार ‎फिर तस्वीर बदल गई।  एकबार ‎फिर से कांतिलाल  भू‎रिया ने वापसी की। भाजपा ने उपचुनाव में दिलीप सिंह की बेटी निर्मला सिंह भूरिया को टिकट दिया था। इस चुनाव में निर्मला सिंह भूरिया को हार का सामना करना पड़ा और कांतिलाल एक बार फिर रतलाम के सांसद चुने गए। 
रतलाम लोकसभा सीट को पहले झाबुआ लोकसभा सीट के नाम से जाना जाता था। 
2008 में परिसीमन के बाद यह रतलाम लोकसभा सीट हो गई। यह सीट अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवार के लिए आरक्षित है। रतलाम मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र का जिला है। रतलाम के पहले राजा महाराजा रतन सिंह थे। यह शहर सेव, सोना, सट्टा ,मावा, साड़ी और समोसा कचौरी के लिए मशहूर है। 2011 की जनगणना के अनुसार रतलाम की जनसंख्या 26,08,726 है। यहां की 82.63 फीसदी आबादी ग्रामीण इलाके और 17.37 प्र‎तिशत आबादी शहरी क्षेत्र में रहती है। यहां पर अनुसूचित जनजाति के लोगों की संख्या अच्छी खासी है। 73.54 फीसदी आबादी रतलाम की अनुसूचित जतजाति की है, जबकि 4.51 प्र‎तिशत की आबादी अनुसूचित जाति की है। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के दिलीप सिंह भूरिया ने यहां पर जीत हासिल की। उन्होंने कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया को हराया।   दिलीप सिंह को इस चुनाव में 5,45,980(50. 43 फीसदी) वोट मिले तो वहीं कांतिलाल को 4,37,523(40. 41 फीसदी) वोट मिले।  दोनों के बीच हार जीत का अंतर 1,08457 वोटों का था। वहीं बसपा इस चुनाव में तीसरे स्थान पर रही थी।  उसके खाते में 1।.71 फीसदी वोट पड़े थे। 2015 में इस सीट पर उपचुनाव हुआ।  
दिलीप सिंह भूरिया के निधन के बाद हुए उपचुनाव में उनकी बेटी निर्मला को हार का सामना करना पड़ा । एकबार ‎फिर से कां‎तिला भू‎रिया ने जीत दर्ज की। 68 साल के कांतिलाल भूरिया का जन्म मध्य प्रदेश के झबुआ में हुआ। भूरिया 1998, 1999 और 2004 में झाबुआ से और 2009 और 2015 में रतलाम से लोकसभा के लिए चुने गए।  वे यूपीए सरकार में जनजातीय मामलों के मंत्री भी रह चुके हैं। साल 2009 में वे यूपीए-2 की सरकार में कैबिनेट मंत्री थे। इससे पहले वे उपभोक्ता मामले,  खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय में राज्य मंत्री और कृषि मंत्रालय में राज्य मंत्री थे। जब‎कि उन्होंने संसद में एक भी बहस में हिस्सा नहीं लिया, न ही उन्होंने संसद में एक सवाल किया। कांतिलाल भूरिया को उनके निर्वाचन क्षेत्र में विकास कार्यों के लिए 12.50 करोड़ रुपये आवंटित हुए थे।  जो कि ब्याज की रकम मिलाकर 13.82 करोड़ हो गई थी। इसमें से उन्होंने 13.63 यानी मूल आवंटित फंड का 107.05 फीसदी खर्च किया। उनका करीब 18 लाख रुपये का फंड  अभी भी बकाया है। 

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