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 महाराष्ट्र में भाजपा के सरकार न बनाने के पीछे है बड़ी रणनीति? 

 महाराष्ट्र में भाजपा के सरकार न बनाने के पीछे है बड़ी रणनीति? 

 महाराष्ट्र में भाजपा के सरकार न बनाने के पीछे है बड़ी रणनीति? 
 महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए चल रहे घमासान ते बीच राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के निमंत्रण देने के बाद भी भाजपा पीछे हट गई। इसे पार्टी की बड़ी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, क्योंकि निमंत्रण अस्वीकार करने से पहले भाजपा की दो दौर की लंबी बैठक चली। वर्षा बंगले में दोबारा हुई कोर कमेटी की बैठक में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भी शामिल हुए। इसके बाद निर्णय लिया गया कि भाजपा राज्य में सरकार का गठन नहीं करेगी। भाजपा नेताओं के अनुसार, पार्टी किसी राज्य में सरकार बनाने का मौका जल्दी नहीं छोड़ती, लेकिन महाराष्ट्र में हम पीछे हट रहे हैं। इसके पीछे दूर की सोच है, जो जल्द ही सामने आएगी।
विधानसभा चुनाव मिलकर लड़ी भाजपा-शिवसेना को जनता ने सरकार बनाने के लिए वोट दिया था। लेकिन चुनाव परिणाम आने के बाद शिवसेना ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री पद पर अड़ गई, जिस पर भाजपा राजी नहीं हुई। निमंत्रण मिलने के बाद भी भाजपा ने सरकार गठन का प्रस्ताव ठुकरा दिया। इसके बाद राज्यपाल ने शिवसेना को सरकार बनाने का न्योता दिया। शिवसेना ने राज्यपाल के निमंत्रण को स्वीकार भी कर लिया लेकिन कांग्रेस की तरफ से अब भी असमंजस है। वहीं, शिवसेना पर गठबंधन तोड़ने का ठप्पा लग रहा है। भाजपा इस कलंक से बचना चाहती थी। अब भाजपा पूरे राज्य में इसका प्रचार करेगी। इससे पहले 2014 विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा पर शिवसेना के साथ वर्षों पुराना गठबंधन तोड़ने का आरोप लगा था। अगर शिवसेना भाजपा की बजाए कांग्रेस-एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनाती है तो इसे बेमेल गठबंधन कहा जाएगा। अभी तक शिवसेना का इन दोनों दलों से छत्तीस का आंकड़ा रहा है। वहीं विचारधारा के स्तर पर भी शिवसेना की राह अलग है।
शिवसेना को जहां कट्टर हिंदुत्व का पक्षधर माना जाता है, वहीं कांग्रेस-एनसीपी पर अल्पसंख्यक तुष्टीकरण के आरोप लगते रहे हैं। भाजपा इन्हीं बेमेल मुद्दों को आधार बनाकर तीनों दलों को घेरेगी। भाजपा अनुच्छेद 370 रद्द करने, तीन तलाक और देश में समान नागरिक संहिता जैसे मुद्दों पर शिवसेना से जवाब मांगेगी। महाराष्ट्र में सरकार गठन न करने के पीछे भाजपा का कर्नाटक से लिया गया सबक बताया जा रहा है। 2018 में कर्नाटक विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी होने पर बीएस येदियुरप्पा ने सरकार गठित की। लेकिन विधानसभा में बहुमत साबित करने से पहले ही उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था। भाजपा इस बार महाराष्ट्र में उस स्थिति को नहीं दोहराना चाहती थी क्योंकि जिस तरह कर्नाटक में भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए कांग्रेस-जेडीएस एक साथ हो गए थे उसी तरह महाराष्ट्र में भाजपा को रोकने के लिए शिवसेना-एनसीपी और कांग्रेस एक साथ हो गई हैं। इसको देखते हुए भाजपा ने सरकार न बनाने में ही बेहतरी समझी। शिवसेना के अड़ियल रुख के कारण सत्ता से दूर हुई भाजपा ने अब जनता के बीच जाने का फैसला किया है। भाजपा के एक नेता ने बताया कि हम जनता के बीच जाकर लोगों को बताएंगे कि किस तरह शिवसेना ने जनादेश का अपमान किया है। साथ ही यह भी समझाएंगे कि सत्ता में साझीदार रहने के दौरान शिवसेना ने विकास कार्यों में अड़ंगा डाला। भाजपा नेता का कहना है कि आरे कारशेड और नाणार परियोजना पर शिवसेना के रुख की पोल खोली जाएगी। 

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