करतारपुर जाने के प्रति सिख श्रद्धालुओं में उत्साह नहीं, दूरबीन से दर्शनों को उमड़ रही भीड़
सिख श्रद्धालु करतारपुर कारीडोर से बहुत कम संख्या में पाकिस्तान स्थित करतारपुर साहिब गुरुद्वारा जा रहे हैं। इस कारीडोर के रास्ते सोमवार को केवल 130 श्रद्धालुओं ने गुरुद्वारा साहिब पहुंच कर मत्था टेका। आश्चर्य की बात है कि सिखों में बेहद लोकप्रिय होने के बाद भी करतारपुर साहिब जाने के प्रति पंजाब के लोगों में उत्साह क्यों नहीं है। माना जा रहा है कि करतारपुर जाने में लोगों की हिचक की एक प्रमुख वजह यह है कि पाकिस्तान जाने वालों का डिजिटल रिकॉर्ड रखा जाता है। यह बात उन लोगों को पाकिस्तान जाने से रोकती है, जो भविष्य में अमेरिका या दूसरे देशों में जाना चाहते हैं। इसके अलावा 20 डॉलर की सर्विस फीस, भारत-पाक संबंधों में तनाव और ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के बारे जानकारी का अभाव भी लोगों के न जाने की वजह हो सकती है।
करतारपुर कॉरिडोर रविवार को आमजन के लिए पहली बार खोला गया, इस दिन भी महज 229 श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। मंगलवार को गुरु नानक देव के 550वें प्रकाश पर्व के अवसर पर 600 श्रद्धालु दर्शन के लिए गए। इसके विपरीत, भारतीय सीमा के भीतर से पवित्र गुरुद्वारे के 'दूरबीन से दर्शनों' के लिए भारी भीड़ उमड़ रही है। यह दो दिनों में बढ़कर प्रतिदिन 5,000 तक पहुंच गई है, पहले हर रोज महज 250 श्रद्धालु दूरबीन से दर्शन करते थे। पहले अनुमान था कि 9 नवंबर को उद्घाटन के बाद हर रोज कम से कम 5,000 श्रद्धालु 4।5 किलोमीटर लंबे करतारपुर कॉरिडोर को पार करके दरबार साहिब जाएंगे। दोनों देशों के बीच 5,000 श्रद्धालुओं की सीमा भी तय हुई थी। पहले दिन दर्शन करने वाले 562 लोगों में अतिविशिष्ट अतिथियों के अलावा पंजाब और केंद्र सरकार द्वारा आमंत्रित एनआरआई शामिल थे।
नेशन रीजनल नार्थ
करतारपुर जाने के प्रति सिख श्रद्धालुओं में उत्साह नहीं, दूरबीन से दर्शनों को उमड़ रही भीड़