बच्चों में भी बढ़ रहा है तनाव
आजकल स्कूल की पढ़ाई के साथ ही जारी प्रतिस्पर्धा का प्रभाव बच्चों पर भी पड़ा है और वे तनावग्रस्त होते जा रहे हैं। एक नये अध्ययन के अनुसार अगर आपका बच्चा स्कूल ना जाने के बहाने बनाता है और सिर्फ घर पर बैठना चाहता है, तो ये संभव है कि आपका बच्चा तनाव से परेशान हो।
वहीं अगर आपके बच्चे की स्कूल में उपस्थिति बहुत कम है तो इसका कारण तनाव भी हो सकता है। इससे आप जान सकते हैं कि किस प्रकार से तनाव, बच्चों की स्कूल में उपस्थिति से जुड़ा हुआ है।
इन कारणों से स्कूल नहीं जाना चाहते बच्चे। बीमारी के चलते छुट्टी, बिना किसी कारण के छुट्टी, स्कूल जाने से मना करना। अब शोधकर्ताओं को पता चला कि बिना किसी कारण के जो छुट्टी ली जाती है, उसमें सबसे बड़ा कारण तनाव होता है।
तनाव बच्चों की पढ़ाई के साथ उनकी सामाजिक और आर्थिक विकास में भी बाधा बन सकता है। अध्ययनकर्तओं के अनुसार हैं 'हमे शुरुआती चरण में ही इस समस्या का पता चल गया है, अब हमारे को जल्द से जल्द कुछ समाधान निकालना चाहिए जिससे इन मासूम बच्चों की जिंदगी बेहतर हो सके। '
बच्चों में इन लक्षण को समझना कई बार मुश्किल हो सकता है। इसलिए कई बार बच्चे शिकायत कर सकते हैं कि उनको पेट या सर में दर्द है। ऐसी परिस्थिति में स्कूल के स्टाफ को इन लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए क्योंकि ये संभव है कि इन लक्षणों का कारण तनाव हो.
हमे ये भी समझने की आवश्यकता है कि मामूली तनाव कोई बीमारी नहीं होती। थोड़ा तनाव तो किसी को भी हो सकता है लेकिन अगर ये तनाव आपके बच्चे की जिंदगी पर नकारात्मक असर डाल रहा है और उसकी काम करने की क्षमता प्रभावित हो रही है, तब ये चिंताजनक है।
तनाव का इलाज संभव है और इस पर ठीक समय पर काबू भी किया जा सकता है लेकिन तनाव को नकार देना इसका समाधान नहीं है, इससे दिक्कतें और बढ़ सकती हैं।
वैसे कुछ संस्थाए इस बात पर भी जोर दे रहीं हैं कि अभी इस मुद्दे पर और अध्यन की आवश्यकता है। अभी ये भी देखना जरूरी है कि कही ऐसा तो नहीं कि स्कूल में कम उपस्थिति के चलते तनाव बच्चों को हो रहा हो।
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