कम उत्पादन से बढ़ सकती हैं दालों की कीमतें
इस साल कम उत्पादन से प्याज की तरह दालों की कीमतें भी बढ़ सकती हैं। इस स्थिति से निपटने के लिए उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने वाणिज्य मंत्रालय को सलाह दी है कि दाल आयात की मात्रा पर लगा प्रतिबंध हटाकर आयात बढ़ाया जाए। सरकार ने इस वर्ष अरहर दाल के आयात के लिए 4 लाख टन कोटा तय किया था जो 15 नवम्बर को खत्म हो गया है। उड़द और मूंग के लिए आयात की तारीख पहले से ही 31 अक्तूबर को खत्म हो चुकी है। मंजूरी में देरी होने पर आयात का लाभ नहीं उठाया जा सकेगा। दाल के भाव खासतौर से अरहर दाल की खुदरा कीमत 100 रुपए प्रति किलो के पार पहुंच चुकी है। खाद्य मंत्रालय के मुताबिक घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त दाल है लेकिन किसी भी तरह के उतार-चढ़ाव से इसकी कमी हो सकती है। अधिकारी ने कहा कि हमें आयात के जरिए सप्लाई बढ़ाने की जरूरत है ताकि दबाव कम किया जा सके। आयात पर प्रतिबंध लगाना तब सही होता है जब आपके पास पर्याप्त उत्पादन हो। हालांकि दाल की पैदावार कम होने की आशंका के बीच आयात पर प्रतिबंध लगाने से कीमतें बढ़ेंगी। मध्य प्रदेश जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों में उड़द की लगभग 50 प्रतिशत फसल खराब हो गई है। भारी बारिश से दाल की खड़ी फसल बुरी तरह से प्रभावित हुई है।
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