लॉस एजेंल्स पहुंचे कचरे का जिम्मेदार भारत नहीं
- केंद्र सरकार ने कहा, डोनाल्ड ट्रंप के दावे में नहीं है दम
। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने न्यूयॉर्क में इकोनॉमिक क्लब में प्रदूषण को लेकर भारत और चीन पर सीधा निशाना साधा। ट्रंप ने कहा कि भारत-चीन जैसे देश अपने संयंत्रों, फैक्ट्रियों और गाड़ियों से निकलने वाले धुएं के लिए कुछ नहीं करते हैं। यहां तक कि समुद्र में फेंका उनका कचरा बहकर लॉस एजेंल्स तक पहुंच रहा है। दुनिया के बाकी देश अमेरिका को दुधारू गाय समझकर फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं। अमेरिका पर पेरिस जलवायु समझौते में शामिल होने के लिए दबाव बनाया जा रहा था, जबकि ये देश खुद धरती को बचाने के लिए कुछ नहीं कर रहे हैं। पेरिस समझौते में बने रहने से अमेरिका को खरबों डॉलर का नुकसान होता। अमेरिका के पास मौजूद जमीन की तुलना चीन, भारत और रूस से करें तो वे अपने धुएं की सफाई के लिए कुछ नहीं कर रहे हैं। उनका कचरा लॉस एजेंल्स में आकर इकठ्ठा हो रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस कचरे के लिए भारत नहीं बल्कि दूसरे देश जिम्मेदार हैं। चीन, इंडोनेशिया, फिलीपींस, थाईलैंड और वियतनाम जैसे देश जीपीजीपी के सबसे बड़े स्रोत हैं। पर्यावरणविदों के मुताबिक अमेरिका खुद सबसे बड़ा प्रदूषक रहा है। अमेरिका भारत-चीन के मुकाबले कहीं ज्यादा ग्रीनहाउस गैसें उत्सर्जित करता है। जीपीजीपी का ज्यादातर कचरा पैसेफिक रिम के देशों से आता है। कैलिफोर्निया और हवाई के बीच में टेक्सास से भी दोगुने आकार का तैरता टनों कचरा अमेरिका के लिए चिंता की वजह बन गया है। समुद्र सफाई परियोजना के तहत इस कचरे को हटाने की कोशिश की जा रही है, लेकिन ये आसान नहीं है।
जीपीजीपी में 18 खरब कचरे के टुकड़े हैं, जिसका वजन 88,000 टन है। इसमें लॉस एंजेल्स की पानी की बोतलें, मनीला के फूड कंटेनर और शंघाई से आए प्लास्टिक बैग हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि कोशिश सराहनीय है। वहीं कुछ इसके मूल स्रोत पर नियंत्रण की मांग कर रहे हैं। कैलिफोर्निया और हवाई के बीच टेक्सास से भी दोगुने आकार का तैरता टनों कचरा अमेरिका के लिए चिंता की वजह बन गया है। इसे ग्रेट पैसेफिक गारबेज पैच कहा जाता है। एशिया के तमाम देशों समेत उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका से कचरा बहकर यहां इकठ्ठा हो रहा है। एक साइंस जर्नल के 2015 के अध्ययन के मुताबिक समुद्र में सबसे ज्यादा कचरा फैलाने के मामले में चीन, इंडोनेशिया, फिलीपींस, वियतनाम, श्रीलंका और थाईलैंड शीर्ष पर हैं।
सतीश मोरे/16नवंबर
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वर्ल्ड नेशन
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