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 3-4 विदेशी कंपनियां पतंजलि के साथ करना चाहती हैं इंटरनेशनल डील्स : आचार्य बालकृष्ण

 3-4 विदेशी कंपनियां पतंजलि के साथ करना चाहती हैं इंटरनेशनल डील्स : आचार्य बालकृष्ण

 3-4 विदेशी कंपनियां पतंजलि के साथ करना चाहती हैं इंटरनेशनल डील्स : आचार्य बालकृष्ण
 योग गुरु बाबा रामदेल के नेतृत्व में पतंजलि आयुर्वेद ने स्वयं की छाप 'स्वदेशी' ब्रैंड के रूप में की और खुद को विदेशी ब्रैंड का विकल्प बताया, लेकिन अब यह कंपनी विदेशी कंपनियों के साथ डील करने के लिए तैयार हो गई है। कंपनी के सीईओ आचार्य बालकृष्ण ने एक बातचीत में कहा कि 3-4 विदेशी कंपनियां है, जो पतंजलि के साथ इंटरनेशनल डील्स करना चाहती हैं। आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि हम किसी मल्टी नेशनल कंपनी के खिलाफ नहीं हैं, जब तक पतंजलि की वैल्यू के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं होता है। किसी कंपनी को इसलिए नकारा नहीं जा सकता है, क्योंकि वह एक मल्टी नेशनल कंपनी है। बालकृष्ण ने कहा कि हमारी नजर इन तमाम डील्स पर है। हालांकि उन्होंने किसी भी कंपनी का नाम बताने से इनकार कर दिया।
फ्रांस की लग्जरी कंपनी एलएमवीएच ने पिछले दिनों कहा था कि वह पतंजलि आयुर्वेद में शेयर खरीदने की इच्छुक है। पतंजलि की वजह से हिन्दुस्तान यूनिलिवर (एटयूएल), लोपियल, कोलगेट और डाबर जैसी कंपनियों को आयुर्वेद प्रॉडक्ट सेगमेंट पर विशेष फोकस करना पड़ा, क्योंकि एक दशक के भीतर यह कंपनी देखते-देखते 10 हजार करोड़ की बन गई। हालांकि नीलसन की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, पतंजलि के आयुर्वेद प्रोडक्ट रेंज बाजार हिस्सेदारी में कमी आई है। साबुन, बालों में लगाने वाले तेल, सर्फ और नूडल्स की बिक्री जुलाई 2018 से जुलाई 2019 के बीच घटी है। एचयूएल ने भी इस कैटिगरी में अपने आयुर्वेद प्रोडक्ट को दोबारा लॉन्च किया है। हालांकि कंपनी के सीईओ आचार्य बालकृष्ण का कहना है कि बिक्री में गिरावट जीएसटी की वजह से हुआ है, लेकिन बिक्री में धीरे-धीरे सुधार शुरू हो गया है। 

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