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पाक के एमक्यूएम नेता ने भारत से मांगी शरण

पाक के एमक्यूएम नेता ने भारत से मांगी शरण

पाक के एमक्यूएम नेता ने भारत से मांगी शरण
-अयोध्या विवाद पर बोले- जिन्हें फैसला पसंद नहीं वे भारत छोड दें
 पाकिस्तान में मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट (एमक्यूएम) के संस्थापक एवं नेता अल्ताफ हुसैन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उन्हें और उनके साथियों को भारत में शरण देने की मांग की है। अगर शरण नहीं दे सकते तो कम से कम अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) में मुकदमा लड़ने के लिए वित्तीय मदद देने की अपील की है। ब्रिटेन में निर्वासित जीवन बिता रहे हुसैन ने किसी तरह की राजनीति में हस्तक्षेप नहीं करने का वादा करते हुए सोशल मीडिया के जरिये यह बयान जारी किया। साथ ही हुसैन ने उच्चतम न्यायालय की ओर से अयोध्या विवाद पर दिए फैसले का स्वागत किया। ब्रिटेन में 67 वर्षीय हुसैन पाकिस्तान में कुछ साल पहले अपने समर्थकों को दिए भाषण के जरिये आतंकवाद को बढ़ावा देने के आरोप में मुकदमे का सामना कर रहे हैं। हुसैन इस समय में कठोर शर्तों पर जमानत पर है। लंदन महानगर पुलिस की आतंकवाद निरोधी कमान ने पिछले महीने उनके खिलाफ ब्रिटेन आतंकवाद कानून 2006 की धारा 1(2) के तहत मामला दर्ज किया था। इन शर्तों में सोशल मीडिया के जरिये भाषण पर भी रोक थी। इसके बावजूद हुसैन ने शनिवार को दूसरा भाषण जारी किया। हुसैन ने नौ नवंबर को जारी भाषण में कहा, ‘‘अगर आज भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुझे भारत आने की इजाजत देंगे और मुझे समर्थकों के साथ शरण देंगे तो मैं अपने सहयोगियों के साथ भारत आने को तैयार हूं, क्योंकि मेरे दादा वहां दफन हैं, मेरी दादी वहां दफन हैं, मेरे हजारों रिश्तेदार भारत में दफन है। मैं वहां जाना चाहता हूं। मैं उनकी कब्रों पर जाना चाहता हूं। वहां इबादत करना चाहता हूं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं शांतिप्रिय इनसान हूं। मैं किसी राजनीति में हस्तक्षेप नहीं करूंगा। मैं वादा करता हूं। बस मुझे, मेरे साथियों के साथ भारत में रहने के लिए जगह दी जाए। मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि कुछ बलोच, सिंधी, जिनके नाम मैं दूं उन्हें भी शरण दी जाए।’’ भारत से किए अनुरोध में एमक्यूएम नेता ने कहा कि उनके घर और कार्यालय को जब्त कर लिया गया और उनके पास पाकिस्तान के शासन से न्याय के लिए लड़ने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा। हुसैन ने कहा, ‘‘अगर आप हमें आश्रय नहीं दे सकते तो कुछ प्रभावी धनवान लोगों को दें जो अंतरराष्ट्रीय अदालत आ जा सके। मेरे पास कोई धन नहीं है, इसलिए आप अपने लोगों से कहिए कि वे अदालत का शुल्क जमा करें। मैं अकेले बलोच, सिंधी और मुहाजिर और अन्य जातीय एवं धार्मिक अल्पसंख्यकों की लड़ाई अंतरराष्ट्रीय अदालत में लड़ूंगा।’’ भाषण के प्रसारण के दौरान उन्होंने उच्चतम न्यायालय की ओर से नयी बाबरी मस्जिद के लिए जमीन देने के फैसले का भी स्वागत किया और कहा कि जिन्हें यह स्वीकार नहीं है उसे भारत छोड़ देना चाहिए। उन्होंने कहा कि मौजूदा भारत सरकार को पूरा अधिकार है कि वह तथाकथित ‘हिंदू राज’ स्थापित करे। 

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