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रोजमर्रा के कामकाज में हिंदी का उपयोग सुनिश्चित नहीं कर पाने पर मंत्रालयों की हुई खिंचाई

  रोजमर्रा के कामकाज में हिंदी का उपयोग सुनिश्चित नहीं कर पाने पर मंत्रालयों की हुई खिंचाई

  रोजमर्रा के कामकाज में हिंदी का उपयोग सुनिश्चित नहीं कर पाने पर मंत्रालयों की हुई खिंचाई
केंद्र सरकार के कुछ मंत्रालयों और विभागों की इस बात को लेकर जोरदार खिंचाई हुई कि वे अपने रोजमर्रा के कामकाज में बड़े पैमाने पर हिंदी का उपयोग सुनिश्चित नहीं कर सके। आधिकारिक भाषा पर एक सरकारी समिति ने समीक्षा में पाया गया कि अंतरिक्ष विभाग जैसे कुछ गिने-चुने विभागों को छोड़कर ज्यादातर 2018-19 में हिंदी को लागू करने के अपने लक्ष्य हासिल करने में असफल रहे। हिंदी के प्रति अधिकारियों का हैरतअंगेज रवैया पता चला है कि गृह मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और वित्त मंत्रालय जैसे प्रमुख मंत्रिमंडलीय मंत्रालय (कैबिनेट मिनिस्ट्रीज) अपेक्षित नतीजे पाने में कामयाब नहीं रहे। हैरत की बात है कि मंत्रिमंडल सचिवालय का एक भी अधिकारी दो दिवसीय समीक्षा प्रक्रिया में शामिल तक नहीं हुआ। समिति ने कहा, 'शहरी विकास और स्टील जैसे कुछ मंत्रालयों ने हिंदी में दैनिक बातचीत के मामले में प्रगति की है, लेकिन दूसरे मामलों में असफल रहे हैं।' केंद्रीय आधिकारिक भाषा को लागू करने वाली समिति केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन काम करती है। उसने कहा कि जिन अधिकारियों को हिंदी के उपयोग का अभ्यास नहीं है, उन्हें तुरंत प्रशिक्षण दिए जाने की जरूरत है। समिति ने इच्छा प्रकट की कि सभी सरकारी संगठनों को दो भाषाओं में अपनी वेबसाइट बनानी चाहिए जिनमें एक भाषा हिंदी होनी चाहिए। इसने सभी कंप्यूटरों को द्विभाषी विधा (डुअल लैंग्वेज मोड) में सेट करने का भी सुझाव दिया। सभी मंत्रालयों को 4 हजार अंग्रेजी शब्दों के हिंदी मायने बताया गया। अधिकारियों ने बताया कि समिति ने मंत्रालयों से आग्रह गया कि वे अंग्रेजी का हिंदी अनुवाद करें और इस शब्दकोष में ज्यादा-से-ज्यादा शब्द जोड़ें। हिंदी दिवस के अवसर पर गृह मंत्री अमित शाह का हिंदी को आधिकारिक भाषा के रूप में बढ़ावा दिए जाने को लेकर दिए बयान का जिक्र भी समीक्षा प्रक्रिया के दौरान किया गया। 

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