चुनावी बॉन्ड को लेकर संसद में कांग्रेस का हंगामा
। संसद के शीतकालीन सत्र में संसद के दोनों ही सदनों पर विभिन्न मुद्दों को लेकर कांग्रेस का हंगामा जारी है। लोकसभा में गुरुवार को कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने शून्यकाल में इलेक्टॉरल बॉन्ड का मुद्दा उठाते हुए कहा कि चुनावी बॉन्ड जारी करने के कारण सरकारी भ्रष्टाचार को स्वीकृति दे दी। राज्यसभा में भी चुनावी बॉन्ड के मुद्दे पर कांग्रेस सांसदों और अन्य विपक्षी दलों ने हंगामा किया। चुनावी बॉन्ड का मुद्दा उठाते हुए उच्च सदन से कांग्रेस ने वॉकआउट भी किया जिसके बाद राज्यसभा की कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी।
तिवारी ने चुनावी बॉन्ड पर सवाल उठाते हुए कहा कि 1 फरवरी 2017 को इस सरकार ने अज्ञात इलेक्टॉरल बॉन्ड का प्रावधान किया। इस प्रावधान के बाद अब न जो डोनर है उसका पता चल सकता है और न कितना पैसा दिया गया उसका ही पता चल सकता है। सरकारी भ्रष्टाचार को इस सरकार ने अमली जामा पहनाने का काम किया है।'
मनीष तिवारी ने इलेक्टॉरल बॉन्ड को सियासत में पूंजीपतियों का दखल करार दिया। उन्होंने आगे कहा कि 'रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया और चुनाव आयोग के विरोध के बाद भी चुनावी बॉन्ड जारी किए उससे सरकारी भ्रष्टाचार के ऊपर एक अमली जामा चढ़ गया है। 2014 से पहले इस देश में एक मूलभूत ढांचा था। उस ढांचे के तहत जो धनपशु लोग हैं जो अमीर लोग हैं, उनका भारत की सियासत में पैसे के हस्तक्षेप पर एक नियंत्रण था।'
कांग्रेस सांसद ने कर्नाटक चुनाव में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहा, 'आपको बहुत गंभीरता और जिम्मेदारी से कहना चाहता हूं कि पहले यह स्कीम सिर्फ लोकसभा के आम चुनाव तक सीमित थी। यह बडे ही आश्चर्य की बात है कि 11 अप्रैल 2018 को कर्नाटक चुनाव से ठीक पहले इसे विधानसभा चुनाव में लागू किया गया।' हालांकि, इस पर लोकसभा स्पीकर ने उन्हें टोकते हुए नाम नहीं लेने की हिदायत दी। जवाब में तिवारी ने कहा कि उनके पास आरटीआई के जरिए मिली सूचना और कागज है और वह इसे पटल पर रख देंगे।
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