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आतंकी मसूद अजहर दुनियाभर के लिए खतरा, अलकायदा सरगना लादेन को भागने में की थी मदद

आतंकी मसूद अजहर दुनियाभर के लिए खतरा, अलकायदा सरगना लादेन को भागने में की थी मदद

आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद मसूद अजहर दुनियाभर के लिए खतरा बना हुआ है। अंतरराष्‍ट्रीय आतंकवादी संगठन अलकायदा के संस्‍थापक रहे ओसामा बिन लादेन और जैश-ए-मोहम्‍मद के सरगना मौलाना मसूद अजहर के बीच दोस्‍ती किसी से छिपी नहीं है। अमेरिका के वर्ल्‍ड ट्रेड सेंटर पर हमले के बाद लादेन को अफगानिस्‍तान की तोरा-बोरा की गुफाओं से भगाने में मसूद ने महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उस समय पाकिस्‍तानी सेना ने गुफाओं के इस नेटवर्क को एक तरफ से घेर लिया था। भारतीय खुफिया सूत्रों के मुताबिक अमेरिका पर हमले के ठीक बाद जैश ने भारत पर दो बड़े हमले की साजिश रची, जिसे अलकायदा ने अंजाम दिया। 9/11 के करीब तीन सप्‍ताह बाद एक अक्‍टूबर, 2001 को जैश ने जम्‍मू कश्‍मीर-विधानसभा परिसर पर हमला कर दिया, जिसमें 35 लोग मारे गए। दो महीने बाद 13 दिसंबर 2001 को जैश के आतंकियों ने भारतीय संसद पर हमला किया। इसमें नौ लोगों की जान चली गई। एक शीर्ष खुफिया अधिकारी ने कहा कि इन दोनों हमलों ने भारत और पाकिस्‍तान के बीच युद्ध जैसी स्थिति की तरफ ध्‍यान दिलाया और पाकिस्‍तानी सेना को अपने पश्चिम बॉर्डर से सेना को ज्‍यादा से ज्‍यादा हटाने का 'बहाना' मिल गया। पश्चिम सीमा पर पाकिस्‍तानी सेना तोरा-बोरा की पहाड़‍ियों की निगरानी कर रही थी। इसने ओसामा को पाकिस्‍तान भाग आने में मदद की। 
इसके फलस्‍वरूप अमेरिकी सैनिकों को ओसामा पर पकड़ बनाने में 10 अतिरिक्‍त साल लग गए। 2 मई 2011 को अमेरिकी नेवी सील के हमले में ओसामा बिन लादेन पाकिस्‍तान के ऐबटाबाद में मारा गया। एक खुफिया अधिकारी ने कहा, यह जैश की क्षमता की प्रकृति है। साथ ही यह दर्शाता है कि इस संगठन का असर न केवल भारत पर है बल्कि यह वैश्विक सुरक्षा और शांति के लिए बड़ा खतरा है। भारत सरकार द्वारा प्‍लेन हाईजैकरों को सौंपने जाने के बाद 90 के दशक में मसूद ने कथित रूप से ओसामा के साथ बहुत नजदी‍की से काम किया। हरकत-उल-अंसार का शीर्ष वक्‍ता मसूद जिहादी विचारधारा को कई अफ्रीकी देशों में ले गया। बताया जाता है कि जिस रात को मसूद अजहर को छोड़ा गया था, उस रात को लादेन ने उसके लिए पार्टी दी थी। अजहर कई ऐसे पाकिस्‍तानी मौलानाओं को जानता है, जो ब्रिटिश मस्जिदों तक जिहाद को ले गए। मसूद अजहर ने कथित रूप से लंदन हमलों में मदद के लिए कई लोगों से संपर्क किया था। उसके द्वारा भर्ती किए गए ब्रिटिश नागरिक उमर शेख ने वर्ष 1994 में 4 विदेशी पर्यटकों का अपहरण किया था। उसका मकसद मसूद अजहर को छुड़ाना था। हालांकि सुरक्षा एजेंसियों ने उसे पकड़ लिया और पर्यटकों को छुड़ा लिया। उसी ने पत्रकार डेनियल पर्ल की हत्‍या की थी। 

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