प्रदूषण नियंत्रण का कोई शॉर्ट-कट नहीं, तीन साल में सुधरी हवा: जावड़ेकर
प्रदूषण के प्रकोप पर 21 नवंबर को एक बार फिर संसद में चिंता जताई गई। दोनों सदनों में एक सुर में इस समस्या से निपटने के लिए ठोस कदम उठाने पर जोर दिया गया। बाद में राज्यसभा में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने बताया कि सरकार ने इस दिशा में कई कदम उठाए हैं। उन्होंने दावा किया कि हाल के दिनों में किए गए प्रयासों की वजह से स्थिति में सुधार आया है। उन्होंने बताया पिछले तीन साल के दौरान दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता में काफी सुधार हुआ है। साल दर साल प्रदूषण के लिहाज से खराब दिनों की घटती संख्या इसकी पुष्टि करती है। जावड़ेकर ने सदन में आंकड़ा देते हुए बताया कि कैसे वायु प्रदूषण कम हुआ है। उन्होंने 2016 से 2019 तक का ब्यौरा दिया। इस साल के आंकड़े 19 नवंबर तक के हैं।
जावड़ेकर ने कहा कि वायु प्रदूषण दिल्ली-एनसीआर ही नहीं, बल्कि वैश्विक समस्या बन गई है। इससे निपटने के लिए जनसहभागिता जरूरी है। उन्होंने स्कूलों में नर्सरी कार्यक्रम सहित विभिन्न कार्यक्रमों का जिक्र करते हुए कहा कि इस संबंध में जन आंदोलन की जरूरत है। उन्होंने कहा पर्यावरण मंत्री ने बताया कि दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए समग्र योजना बनाई गई है। प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय कार्यबल बनाया गया है। राष्ट्रीय स्वच्छ हवा कार्यक्रम शुरू किया है। ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे से दिल्ली में प्रदूषण कम हुआ है। लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। कुछ और बड़े कदम उठाने की जरूरत है।
जावड़ेकर ने कहा कि वायु प्रदूषण के कारणों में औद्योगिक उत्सर्जन, वाहन जनित उत्सर्जन, सड़क और मिट्टी की धूल, निर्माण और विध्वंस गतिविधियां, बायोमास और कचरा जलाना शामिल हैं। कृत्रिम बारिश और यज्ञ का सुझाव: लोकसभा में वायु प्रदूषण पर मंगलवार को शुरू हुई चर्चा गुरुवार को भी जारी रही। भारतीय जनता पार्टी के संजय जायसवाल ने कृत्रिम बारिश, जबकि सत्यपाल सिंह ने यज्ञ कराने का सुझाव दिया।
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