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अमेरिकी राजनयिक ने कहा चीन का सीपीईसी पाकिस्तान को मदद नहीं, बल्कि पैसा कमाना 

अमेरिकी राजनयिक ने कहा चीन का सीपीईसी पाकिस्तान को मदद नहीं, बल्कि पैसा कमाना 

अमेरिकी राजनयिक ने कहा चीन का सीपीईसी पाकिस्तान को मदद नहीं, बल्कि पैसा कमाना 
 अमेरिका ने पाकिस्तान को चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) को लेकर चेतावनी दी है। शीर्ष राजनयिक ने कहा कि चीन का सीपीईसी में निवेश करने का मकसद मदद करना नहीं, बल्कि खुद की अर्थव्यवस्था को फायदा पहुंचाना है। अगर चीन लंबे वक्त तक सीपीईसी के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश करता रहा तब पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी। दक्षिण एशियाई मामलों की कार्यवाहक सहायक मंत्री एलिस वेल्स ने कहा, चीन और पाकिस्तान दोनों कॉरिडोर को एक गेम चेंजर की तरह दिखा रहे हैं लेकिन ऐसा नहीं है। यह साफ हो चुका है कि बीजिंग इससे केवल फायदा कमाना चाहता है। जबकि अमेरिका इससे कई गुना बेहतर मॉडल पेश कर सकता है। वेल्स ने कहा,चीन अपने इस अरबों डॉलर के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के लिए गैर-रियायती लोन दे रहा है। चीनी कंपनियां अपने मजदूर और सामान भी भेज रही हैं। इससे पाकिस्तान में बेरोजगारी का खतरा बढ़ रहा है। अमेरिकी सहायक मंत्री के मुताबिक,अगर पाकिस्तान चीन को कर्ज चुकाने में देरी करेगा, तो उसके आर्थिक विकास पर खासा असर पड़ेगा। साथ ही प्रधानमंत्री इमरान खान का देश में रिफॉर्म्स का एजेंडा भी प्रभावित होगा।
वेल्स ने कहा कि चीन का यह मॉडल (सीपीईसी) अलग है। हमने दुनियाभर में देखा है कि अमेरिकी कंपनियों के मॉडल सफल रहे हैं,क्योंकि हम पैसे को तरजीह नहीं देते। हम मूल्यों, प्रक्रिया और विशेषज्ञता पर काम करते हैं। साथ ही स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करते हैं।अमेरिका की कई कंपनियों मसलनउबर, एक्सॉन मोबिल, पेप्सिको ने पाकिस्तान में करीब 1.3 बिलियन डॉलर का निवेश किया है। इकोनॉमिक कॉरिडोर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की महत्वाकांक्षी योजना है। इसमें पाकिस्तान के ग्वादर से चीन के काशगर तक 50 बिलियन डॉलर (करीब 3 लाख करोड़) की लागत से आर्थिक गलियारा बन रहा है।इसके बाद चीन की अरब सागर तक पहुंच हो जाएगी। सीपीईसी के तहत चीन सड़क, बंदरगाह,रेलवे और ऊर्जा प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहा है।
इसी साल अक्टूबर में कॉरिडोर के दो हिस्सों का काम ठेकेदारों को भुगतान न होने की वजह से बंद करना पड़ा। पाकिस्तान सरकार की पब्लिक अकाउंट कमेटी (पीएसी) ने इसकी जानकारी दी थी। इमरान अक्टूबर में ही चीन दौरे पर गए थे। उन्होंने चीन सरकार को भरोसा दिलाया था कि कॉरिडोर का पूरा मामला अब वे ही देखने वाले है। 

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