इस्लामिक देशों के सहयोग संगठन ओआईसी की बैठक में विशेष रूप से आमंत्रित भारत की विदेश मंत्री को मिली विशेष अहमियत से पकिस्तान बौखला गया है। भारत विरोध में ओआईसी विदेश मंत्रियों की 46वीं बैठक के बहिष्कार का दांव उल्टा पड़ने के बाद अब पाकिस्तान कश्मीर से लेकर भारतीय अल्पसंख्यकों के हालात जैसे मुद्दों को प्रस्ताव के जरिए उठाने की जुगत में लगा है।
कूटनीतिक सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान सदस्य देशों पर इस बात के लिए दबाव बना रहा है कि विदेश मंत्रियों की 46वीं बैठक के बाद पारित होने वाले राजनीतिक प्रस्ताव में कश्मीर के हालात, कथित मानवाधिकार उल्लंघन से लेकर भारत में अल्पसंख्यकों के हालात के मुद्दे प्रमुखता से रखा जाए। इसके लिए पुराने प्रस्तावों को हवाला देते हुए पाकिस्तान परम्परा की दुहाई दे रहा है। अपने विदेश मंत्री की गैर मौजूदगी में पाकिस्तानी राजनयिकों की टीम एमिरत पैलेस में अलग अलग विदेश मंत्रियों से सम्पर्क साधती नजर आई। इस कवायद की अगुवाई सऊदी अरब में पाक राजदूत राजा अली एजाज़ और संयुक्त अरब अमीरात में पाकिस्तान के राजदूत मुअज़्ज़िम अहमद खान करते नज़र आए।
हालांकि पाकिस्तान की इन कोशिशों से वाकिफ भारतीय खेमा भी जवाबी पेशबंदी कर रहा है। प्रस्ताव के बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्रालय में आर्थिक संबंधों के सचिव टीएस तिरुमूर्ति ने कहा कि बैठक के बाद क्या प्रस्ताव आता है वो इस बारे में कोई कयास नहीं लगाना चाहते। लेकिन इतना ज़रूर है कि यह एक ऐतिहासिक दिन है जब भारत और ओआईसी के बीच सम्बंध के नए अध्याय की शुरुवात करता है। हमारी स्थिति स्पष्ट है कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और हम किसी को इसमें दखलंदाज़ी का मौका नहीं देंगे।
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भी संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब समेत कई मुल्कों के विदेश मंत्रियों से द्विपक्षीय मुलाकात में भी भारत और ओआईसी देशों के सदियों पुराने रिश्तों पर जोर दिया। सूत्रों के मुताबिक, इस बात की कोशिशें जारी हैं कि ऐसा कुछ न हो जिससे भारत और ओआईसी देशों के बीच बनी नई नज़दीकी में खटास आए। जहां भारतीय खेमा इस प्रयास में है कि राजनीतिक प्रस्ताव में कश्मीर मुद्दे का ज़िक्र आए भी तो भाषा संतुलित हो। सूत्रों के मुताबिक, कई अन्य सदस्य देश भी इस बात के पक्षधर बताए जाते हैं कि यदि भारत को इस बार विशेष मेहमान के तौर पर बुलाया गया है तो ऐसा न किया जाए जिससे इस भावना का अपमान हो। दरअसल, अब तक पाकिस्तान ओआईसी के मंच का इस्तेमाल भारत के खिलाफ कश्मीर पर लामबंदी करने और अपनी डफली अपना राग बजाने के लिए करता रहा है। बीते साल ओआईसी देशों के विदेश मंत्रियों की 45वीं बैठक का बाद पारित राजनीतिक प्रस्ताव में 16 बिंदु जम्मू-कश्मीर पर केंद्रित थे। इसमें आतंकी बुरहान वानी के एनकाउंटर को एक्स्ट्रा ज्यूडिशियल किलिंग और हत्या करार दिया था। वहीं जम्मू-कश्मीर में हुए चुनावों के लिए फरेब जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया था।
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ओआईसी में भारत को अहमियत, बौखलाया पाकिस्तान, अब प्रस्ताव से निशाना साधने की फिराक में