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चिकित्सा जगत में अजूबा, आईवीएफ तकनीक से पैदा किया गया दुर्लभ मेंढ़क

चिकित्सा जगत में अजूबा, आईवीएफ तकनीक से पैदा किया गया दुर्लभ मेंढ़क

चिकित्सा जगत में अजूबा, आईवीएफ तकनीक से पैदा किया गया दुर्लभ मेंढ़क
चिकित्सा जगत में हर रोज कुछ न कुछ नया होता रहता है पर ताजा प्रयास से लोग अंचभित है। वैज्ञानिकों ने चिकित्सा जगत में नए आयाम हासिल करते हुए दुनिया के पहले इन विट्रो फर्टिलाइजेशन यानी आईवीएफ तकनीक से दुर्लभ ओलफ मेंढक को पैदा कराया है। यह प्रजाति 1987 से विलुप्ति के कगार पर है। ओलफ मेंढक की प्रजाति को बचाने के लिए अमेरिका के टेक्सास स्थित फोर्ट वर्थ चिड़ियाघर और मिसिसिप्पी स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने मिलकर काम किया। शोधकर्ताओं को प्रजनन के लिए 6 नर मेंढकों के फ्रोजन सीमन से दो मादा के अंडों को निषेचित करने में सफलता मिली है। आईवीएफ से जन्मे मेंढक का वजन मात्र 6 ग्राम है। फोर्ट वर्थ चिड़ियाघर के प्रवक्ता ने बताया, हम मिसिसिप्पी स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के साथ कई सालों से हार्मोन थैरेपी और कृत्रिम प्रजनन तकनीक विकसित करने पर काम कर रहे हैं। हमें फ्रोजन सीमन की मदद से अंडों को निषेचित करने में सफलता मिली है। हम आगे और अच्छे सीमन को एकत्रित कर बेहतर तकनीक की मदद प्रजातियों को बचाना जारी रखेंगे। इसके लिए जिनॉम बैंक भी तैयार करेंगे। इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) गर्भधारण करवाने की एक कृत्रिम प्रक्रिया है। इससे जन्म लिए बच्चे को टेस्ट ट्यूब बेबी भी कहा जाता है। ट्यूब में मादा के अंडे और नर के सीमन को निषेचित कर फीटस बनाने की प्रक्रिया शुरू की जाती है। जब फीटस बढ़ने लगता है, तब इसे मादा के गर्भ में प्रत्यर्पित कर दिया जाता है। यह तकनीक उन महिलाओं के लिए विकसित की गई है, जो किन्हीं कारणवश गर्भधारण नहीं कर पाती हैं।


 

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