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महाराष्‍ट्र पर कर्ज का बोझ 4.7 लाख करोड़ रुपये - नई सरकार के समक्ष राजस्व घाटा सबसे बड़ी चुनौती

महाराष्‍ट्र पर कर्ज का बोझ 4.7 लाख करोड़ रुपये  - नई सरकार के समक्ष राजस्व घाटा सबसे बड़ी चुनौती

महाराष्‍ट्र पर कर्ज का बोझ 4.7 लाख करोड़ रुपये 
- नई सरकार के समक्ष राजस्व घाटा सबसे बड़ी चुनौती
 महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में नई सरकार का गठन तो हो चुका है लेकिन इस नई सरकार के समक्ष कई बड़ी चुनौतियां हैं. जिसमें सबसे बड़ी चुनौती राजस्व घाटा है. दरअसल आर्थिक मोर्चे पर राज्‍य की स्थिति ठीक नहीं है. बीते जून महीने में महाराष्ट्र की फडणवीस सरकार में तब के वित्त मंत्री सुधीर मुंगटीवार ने 2019-20 का अंतरिम बजट पेश किया था. इस बजट में बताया गया कि महाराष्‍ट्र पर कर्ज का बोझ 4.7 लाख करोड़ रुपये से अधिक का है. वहीं 2018-19 में महाराष्‍ट्र सरकार की देनदारियां 4.14 लाख करोड़ रुपये थी, जो लगातार बढ़ रही है. बता दें कि सरकार ने कुल बजट 3 लाख 34, 933 करोड़ रुपये रखा था. इस बजट में बताया गया कि महाराष्ट्र सरकार का राजस्व घाटा बढ़कर 20,292.94 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है. एक साल पहले राजस्व घाटा 14,960.04 करोड़ रुपये था. इस लिहाज से सिर्फ एक साल में महाराष्‍ट्र का राजस्‍व घाटा ‭5 हजार करोड़ यानी 35.6 फीसदी से अधिक बढ़ सकता है. जून में बजट पेश करते हुए तब के वित्त मंत्री सुधीर मुंगटीवार ने बताया कि चालू वित्त वर्ष में सरकार का राजस्व व्यय 3,34,933.06 करोड़ रुपये और राजस्व प्राप्ति 3,14,640.12 करोड़ रुपये रहने की संभावना है. वहीं राजकोषीय घाटा की बात करें तो 61,669.94 करोड़ रुपये होने का अनुमान है. एक साल पहले महाराष्ट्र का राजकोषीय घाटा 56,053.48 करोड़ रुपये था. इस लिहाज से करीब 6 हजार करोड़ का इजाफा हो सकता है. महाराष्‍ट्र की आर्थिक सर्वेक्षण में राज्य की विकास दर में 7.5 फीसदी की वृद्धि दर का अनुमान लगाया गया था. यहां बता दें कि देश के कुल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में महाराष्ट्र का योगदान 14.4 फीसदी है. अगर महाराष्ट्र की कुल जीडीपी की बात करें तो 26 लाख करोड़ रुपये से अधिक है. महाराष्ट्र में प्रति व्यक्ति आय 1 लाख 91 हजार 827 रुपये है. हालांकि एक साल पहले के मुकाबले इस बार राज्य में प्रति व्यक्ति आय में बढ़ोतरी हुई है. वर्ष 2017-18 में प्रति व्यक्ति आय 1 लाख 76 हजार 1022 रुपये थी, जो 2018-19 में बढ़कर 1,91,827 रुपये हो गई. वहीं महाराष्‍ट्र में बेरोजगारी दर की बात करें तो 2017-18 में 4.9 फीसदी पर थी. अब नई सरकार आर्थिक मोर्चे पर मिली चुनौती से कैसे निपटती है वो आने वाले समय में ही पता चल पायेगा.

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