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दिल्ली में 1731 अनाधिकृत कॉलोनियों की डिजिटल मैपिंग का काम 31 दिसंबर तक

 दिल्ली में 1731 अनाधिकृत कॉलोनियों की डिजिटल मैपिंग का काम 31 दिसंबर तक

दिल्ली में 1731 अनाधिकृत कॉलोनियों की डिजिटल मैपिंग का काम 31 दिसंबर तक 
 राजधानी दिल्ली की अनाधिकृत कॉलोनियों में रहने वाले करीब 40 लाख लोगों को उनकी संपत्ति का मालिकाना हक देने की प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए केंद्रीय आवास और शहरी कार्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने गुरूवार को लोकसभा में बताया कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में 1731 अनाधिकृत कॉलोनियों की डिजिटल मैपिंग का काम इस साल 31 दिसंबर तक पूरा कर लिया जाएगा। निचले सदन में राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र दिल्ली (अप्राधिकृत कॉलोनी निवासी संपत्ति अधिकार मान्यता) विधेयक, 2019 को विचार और पारित करने के लिए रखते हुए पुरी ने कहा कि 11 साल पहले ही दिल्ली में अनाधिकृत (अनऑथोराइज्ड) कॉलोनियों की मैपिंग की प्रक्रिया शुरू हो जानी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि 2008 में दिल्ली की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने एक अधिसूचना जारी की थी और 760 कॉलोनियों को चिह्नित किया गया। लेकिन इसके बाद प्रयास धीमे हो गए। पुरी ने कहा कि पिछले 11 साल में इस दिशा में आधे-अधूरे प्रयास हुए और संपूर्णता के साथ काम नहीं किया गया।
गौरतलब है कि 2008 में दिल्ली में शीला दीक्षित के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार थी। उन्होंने कहा कि मौजूदा दिल्ली सरकार ने केंद्र को बताया कि जिन एजेंसियों को कॉलोनियों की मैपिंग का काम दिया गया है, वे पूरा नहीं कर पा रही हैं। पुरी ने कहा कि इसके बाद केंद्र सरकार ने फैसला किया कि राजधानी की 1731 अनाधिकृत कॉलोनियों में रहने वाले 40 से 50 लाख लोगों को उनके मकानों का मालिकाना हक देंगे। उन्होंने कहा कि पिछले 11 साल में ही डिजिटल मैपिंग का काम पूरा हो जाना चाहिए था। हमने अब आगामी 31 दिसंबर से पहले इस काम को पूरा करने का फैसला किया है। पुरी ने बताया कि एक पोर्टल इस संबंध में प्रभाव में आ चुका है जिसमें सारे मैप डाले जाएंगे। करीब 600 मैप तैयार भी हो चुके हैं। बाकी सभी 31 दिसंबर तक पोर्टल पर अपलोड कर दिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि इसके बाद आवासीय कल्याण संघों (आरडब्ल्यूए) को इन पर प्रतिक्रिया देने के लिए 15 दिन का समय मिलेगा। इसके बाद स्वामित्व अधिकारों से वंचित लोग इस संबंध में बनाए गए एक अन्य पोर्टल पर रजिस्ट्री के लिए आवेदन कर सकते हैं। इस विधेयक में इन अनधिकृत कॉलोनियों में रहने वाले लोगों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को ध्‍यान में रखते हुए उन्‍हें पॉवर ऑफ अटॉर्नी, विक्रय करार, वसीयत, कब्जा पत्र और अन्‍य ऐसे दस्‍तावेजों के आधार पर मालिकाना हक देने की बात कही गई है जो ऐसी संपत्तियों के लिए खरीद का प्रमाण हैं। इसके साथ ही ऐसी कॉलोनियों के विकास, वहां मौजूद अवसंरचना और जन सुविधाओं को बेहतर बनाने का प्रावधान भी विधेयक में किया गया है।
इस विधेयक के कानून का रूप लेने के बाद, पंजीकरण तथा स्‍टाम्प ड्यूटी में दी जाने वाली रियायत से दिल्‍ली की 1731 अनाधिकृत कॉलोनियों में रहने वाले 40 लाख से ज्‍यादा लोग लाभान्वित होंगे।  गौरतलब है कि आवास एवं शहरी विकास मामलों के मंत्रालय ने दिल्‍ली के उपराज्‍यपाल की अध्‍यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट के आधार पर केंद्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष दिल्‍ली की अनाधिकृत कॉलोनियों के लोगों को मालिकाना हक देने का प्रस्‍ताव रखा था। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 23 अक्‍टूबर, 2019 को हुई बैठक में इस प्रस्‍ताव को मंजूरी दी और इसके बाद 29 अक्‍टूबर, 2019 को इसे अधिसूचित कर दिया गया।
 

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