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कोप नाम का ऐप रिलीज करने पर हो रहा विवाद -मामला जापानी कंपनी का, पतियों की मदद के लिए है एप

कोप नाम का ऐप रिलीज करने पर हो रहा विवाद -मामला जापानी कंपनी का, पतियों की मदद के लिए है एप

जापान में एक कोप नाम का ऐप रिलीज करने पर विवाद हो रहा है। एक जापानी कंपनी इजाकी ग्लीकोको ने कोप नाम का ऐप रिलीज किया था। ऐप को बनाने के पीछे इस कंपनी का मकसद था छोटे बच्‍चों के पालन-पोषण में माता और पिता दोनों की भागीदारी को प्रोत्‍साहित करना। बस गड़बड़ी तब हुई जब इस ऐप के प्रमोशन के लिए बनाई वेबसाइट में पतियों की दी गई सलाह पर लोगों ने ऐतराज करना शुरू किया। वेबसाइट पर तर्क दिया गया है कि महिला और पुरुषों के बीच में नोंकझोंक इसलिए होती है क्‍योंकि उनके दिमाग अलग तरह के होते हैं। बहरहाल कंपनी ने इस पर कोई कमेंट नहीं किया है लेकिन ऐप और वेबसाइट पर कुछ सेक्‍शन में बदलाव किए हैं। एक बयान जारी करके कंपनी ने बस इतना ही कहा है कि ' हम अपने कस्‍टमर्स के सुझावों को दिल से स्‍वीकार करते हैं और सुधार करने की कोशिश करते हैं।' इसमें कहा गया है, 'पुरुषों का ब्रेन महिलाओं के ब्रेन से सर्किट की बनावट और उनसे निकलने वाले सिग्‍नल के आधार पर अलग होता है। इसलिए भले ही उनमें समान सूचनाएं जाएं लेकिन उन पर उनकी प्रतिक्रिया अलग-अलग होती है।' इसमें आगे सलाह दी गई है जिसका शीर्षक है, ''मां की भावनाओं का पिता के लिए अनुवाद'', जिसमें उन आठ संभावित पैटर्न का जिक्र किया गया है जब पत्‍नी नाराज होती है। इसके बाद उन्‍हें पतियों के लिए 'ट्रांसलेट' किया गया है। उदाहरण के लिए, ऐप का दावा है कि जब कोई महिला कहती है, 'अब हमारे साथ रहने का कोई मतलब नहीं है' तो असल में वह पूछना चाहती है, 'तुम मेरे बारे में क्‍या सोचते हो?' इसी तरह जब पत्‍नी कोई काम करते हुए कहे कि, ''यह काफी मुश्किल है'' तो असल में वह कहना चाहती है, 'मैं जो कर रही हूं तुम्‍हें उसकी तारीफ करनी चाहिए।' ऐप की पुरुषों को सलाह है कि जब भी महिला पूछे, 'तुम्‍हारे लिए क्‍या ज्‍यादा जरूरी है, तुम्‍हारा जॉब या तुम्‍हारी फैमिली?' तब पुरुषों को यह कहते हुए माफी मांग लेनी चाहिए कि ' माफ करो मेरी वजह से तुम्‍हें अकेलापन लग रहा है।' ऐप में आगे पुरुषों को यह सुझाव भी दिया गया है कि पत्‍नी के जवाबों से बचने के लिए वह विषय को बदलते हुए अपने ऑफिस में होने वाली समस्‍याओं का जिक्र करने लगे। सोशल मीडिया पर इस ऐप की खूब आलोचना हुई। एक आलोचक ने तो कंपनी पर आरोप लगाया कि वह मानती है कि, 'महिलाओं को गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं है। बस उनसे सहानुभूति या आभार जताना ही काफी है। यह साफ तौर पर महिलाओं की उपेक्षा करना है।' 
 

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