युवा भी हो रहे मोतियाबिंद से पीड़ित
मोतियाबिंद पहले आमतौर पर सिर्फ बुजुर्गों में ही पायी जाती थी लेकिन आजकल ये युवाओं ओर बच्चों को भी अपना शिकार बना रही है। ऐसे में अगर आप किसी बीमारी से ग्रस्त हैं तो उसका असर भी आपके आंखों की रोशनी पर होता है जिससे मोतियाबिंद की समस्या होती है। इसलिए आंखों में कोई परेशानी होने पर उसे अनदेखा न करें।
हमारी आंख की पुतली के पीछे एक लेंस होता है। पुतली पर पड़ने वाली लाइट को यह लेंस फोकस करता है और रेटिना पर ऑब्जेक्ट की साफ इमेज बनाता है। रेटिना से यह इमेज नर्व्स तक और वहां से दिमाग तक पहुंचती है। आंख की पुतली के पीछे मौजूद यह लेंस पूरी तरह से साफ होता है, ताकि इससे लाइट आसानी से पास हो सके।
कभी-कभी इस लेंस पर कुछ धुंधलापन आ जाता है , जिसकी वजह से इससे गुजरने वाला प्रकाश का रास्ता बंद हो जाता है। इसका परिणाम यह होता है कि पूरी लाइट पास होने पर जो ऑब्जेक्ट इंसान को बिल्कुल साफ दिखाई देता है,अब कम लाइट पास होने की वजह से वही ऑब्जेक्ट धुंधला नजर आने लगता है। लेंस पर होनेवाले इसी धुंधलेपन की स्थिति को मोतियाबिंद कहा जाता है। यह क्लाउडिंग धीरे - धीरे बढ़ती जाती है और मरीज की नजर पहले से ज्यादा धुंधली होती जाती है। आइए जानें उन बीमारियों के बारे में जो मोतियाबिंद का कारण हो सकती हैं-
मधुमेह
मधुमेह शरीर के दूसरे अंगों जैसे गुर्दे और हृदय की ही अनेक बीमारियों का कारण ही नहीं है बल्कि आंखों पर भी कई प्रकार से इसका दुष्प्रभाव पड़ता है। मधुमेह के लगभग 80 प्रतिशत रोगियों को जीवन में आंखों की किसी न किसी समस्या का सामना अवश्य करना पड़ता है, आंखों की इन समस्याओं में प्रमुख हैं− डायबेटिक रेटिनोपैथी, मोतियाबिंद तथा काला मोतिया। मधुमेह के कारण होने वाली इन बीमारियों से बचने के लिए जरूरी है कि मधुमेह के रोगी समय−समय अपनी आंखों की जांच कराते रहें और कोई भी दिक्कत सामने आते ही उसका इलाज करवाना शुरू कर दें। कुछ मरीजों में लैंस में धुंधलापन आ जाता है, उसकी पारदर्शिता खत्म हो जाती है इसे डायबिटिक कैटरैक्ट कहते हैं।
यूवाइटिस
यूवाइटिस एक प्रकार की सूजन है जो यूवेइआ में होते हैं। इसके कई कारण हो सकते हैं जिनमें ट्रामा या संक्रमण भी एक हैं। इस बीमारी के कोई भी ज्ञात कारण नहीं है। मोतियाबिंद की समस्या उन लोगों में ज्यादा होती है जो जो यूवाइटिस से ग्रस्त होते हैं। यूवाइटिस अमेरिका, यूरोप और अन्य विकसित देशों में तेजी से फैल रही है। भारत में भी इस बीमारी के मरीजों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ रही है।यूवाइटिस को कैंसर से भी खतरनाक माना जा रहा है।
उच्च निकट दृष्टि दोष
जो लोग उच्च निकट दृष्टि दोष (मायोपिया) से प्रभावित होते हैं उनमें मोतियाबिंद का खतरा कहीं अधिक होता है। डॉक्टर के मुताबिक बचपन में देखने की क्षमता का विकास होता और किशोरावस्था में आंख की लंबाई बढ़ती है लेकिन निकट दृष्टि दोष होने की वजह से यह कुछ ज्यादा ही बढ़ जाती है। ऐसी स्थिति में आंख में जानेवाला प्रकाश रेटिना पर केंद्रित नहीं होता। इसी वजह से तस्वीर धुंधली दिखाई देती है लेकिन इस दोष को कॉंटैक्ट लेंस या सर्जरी से ठीक कराया जा सकता है।
रीजनल
युवा भी हो रहे मोतियाबिंद से पीड़ित