जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते को हासिल कर दुनियाभर में मत्स्य पालन के उद्देश्य से लाखों टन मछलियां बच सकती हैं।एक पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में यह जानकारी मिली है। अध्ययन में पारिस्थितिकी तंत्र और मौजूदा 3.5 डिग्री सेल्सियस वैश्विक तापमान की तुलना में पेरिस समझौते में तय 1.5 डिग्री सेल्सियस के वैश्विक तापमान का लक्ष्य पाने से संभावित आर्थिक प्रभावों की तुलना की गई है। यह निकर्ष सामने आया हैं कि पेरिस समझौते का लक्ष्य हासिल करने से समुद्री देशों में से 75 प्रतिशत देशों को लाभ पहुंचेगा और इसका सबसे अधिक लाभ विकासशील देशों को पहुंचेगा। ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय से राशिद सुमैला ने कहा, समझौते का लक्ष्य हासिल करने से वैश्विक मत्स्य राजस्व में सालाना 4.6 अरब अमेरिकी डॉलर, सी-फूड कर्मियों की आय में 3.7 अरब अमेरिकी डॉलर का इजाफा हो सकता है और घरेलू सी-फूड खर्च में 5.4 अरब अमेरिकी डॉलर का खर्च कम हो सकता है। सुमैला ने कहा,सबसे अधिक लाभ विकासशील देशों जैसे किरीबाती, मालदीव और इंडोनेशिया के समुद्री क्षेत्र में देखा जायेगा जो वैश्विक तापमान बढ़ने के कारण सबसे अधिक खतरे में हैं। ये देश खाद्य सुरक्षा, आय और रोजगार के लिये अधिकतर मछली पालन पर ही निर्भर हैं। अध्ययन में यह भी पाया गया है कि पेरिस समझौते का लक्ष्य हासिल करने से सबसे अधिक राजस्व पैदा करने वाली मछलियों की प्रजाति के कुल वजन, या बायोमास में वैश्विक 6.5 प्रतिशत और विकासशील देशों के समुद्री क्षेत्र में औसतन 8.4 प्रतिशत का इजाफा होगा तथा विकसित देशों में इसमें 0.4 प्रतिशत की मामूली कमी आयेगी।
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