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सडकों पर भीख मांगने वाले बच्चे अब जाएंगे स्कूल सकारी प्रयासों से शेल्टर होम रहेंगे और पढाई भी करेंगे

सडकों पर भीख मांगने वाले बच्चे अब जाएंगे स्कूल   सकारी प्रयासों से शेल्टर होम रहेंगे और पढाई भी करेंगे

शहर की सडकों पर भीख मांगने वाले बच्चे जल्द ही आपको स्कूल जाते हुए नजर नहीं आएंगे। सरकारी प्रयासों से ये बच्चे अब सेल्टर होम में रहेंगे और स्कूलों में अन्य बच्चों के साथ पढ़ते हुए दिखाई देंगे। इसके लिए कमिश्नर कल्पना श्रीवास्तव ने विशेष अभियान का खाका तैयार किया है। अभियान छह मार्च से पूरे शहर में शुरू होने जा रहा है। जिसमें सामाजिक संगठनों के साथ-साथ महिला एवं बाल विकास और सामाजिक कल्याण विभाग को संयुक्त रूप से जिम्मेदारी सौंपी गई है। शहर को भीख मांगने वाले बच्चों से मुक्त कराने के लक्ष्य के साथ शुरू होने वाला यह अभियान एक साल तक निरंतर चलेगा, जिसकी निगरानी स्वयं कमिश्नर करेंगी। कमिश्नर कार्यालय में शनिवार को अभियान को आयोजित बैठक में कमिश्नर ने जानकारी देते हुए बताया कि दो स्तर पर काम किया जाएगा। पहले भीख मांगने वाले बच्चों को पुनर्वास किया जाएगा। उसके बाद शहर में भीख मंगवाने का काम करवाने वाले व्यक्तियों और गिरोहों की पहचान कर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। ताकि पुनर्वास के बाद बच्चे पुनः इसी काम में न उतरें। इसके लिए शहर के ऐसे सभी बच्चों की डाटाबेस जानकारी जुटाई जाएगी। इस जानकारी के आधार पर क्षेत्रवार कार्रवाई कर उसी क्षेत्र के पुनर्वास केंद्रों में बच्चों रखा जाएगा, साथ ही उसी क्षेत्र के स्कूलों में पढ़ाई के लिए भेजा जाएगा। 
    बैठक में बताया गया कि बोर्ड ऑफिस चौराहा, बिट्टन मार्केट, न्यू मार्केट चौराहा, रोशनपुरा चौराहा, चेतक ब्रिज के पास, बाणगंगा चौराहा, रेतघाट चौराहा सहित एक दर्जन से अधिक चौराहों में खासतौर से बच्चे भीख मांगते पाए जाते हैं। इन सभी जगह महिला एवं बाल विकास, सामाजिक न्याय, श्रम विभाग सहित अन्य विभाग के अफसर आंकड़े एकत्रित करेंगे। महिला एवं बाल विकास व बाल कल्याण समिति ने दो साल पहले रेस्क्यु कर करीब 1200 बच्चों का डेटा तैयार किया था, लेकिन इनके परिवार वाले दबाव डालकर अपने-अपने बच्चों को वापस ले गए। शेष 149 बच्चों को सुधार गृहों में भेज दिया गया था। इसके बाद इन सभी के माता-पिता को नोटिस जारी किया गया। इसमें से 20 बच्चों के परिजन जीवित पाए गए, उन्होंने भी आकर इन बच्चों को लेकर गए। शेष 129 बच्चों को लीगल फ्री करने की कार्रवाई की जा रही है। इस बारे में भोपाल संभागायुक्त कल्पना श्रीवास्तव का कहना है कि अक्सर जब भी चौराहे पर वाहन खड़े होते है तो पांच-पांच या छह साल के बच्चे भिक्षावृत्ति करते हुए दिख जाते है। उनकी आंखे और चेहरे की मासूमियत देखकर दिल को काफी दुख पहुंचता है, बुरा लगता है। इन बच्चों को भिक्षावृत्ति से मुक्ति के लिए हम विशेष अभियान चलाएंगे ताकि ये बच्चे भी समाज की मुख्य धारा में जुड़ सके। छह मार्च से इसके लिए विशेष अभियान प्रारंभ किया जाएगा। जिसमें समाज के सभी वर्गों से भी मदद ली जाएगी।
 

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