YUV News Logo
YuvNews
Open in the YuvNews app
OPEN

फ़्लैश न्यूज़

आरोग्य

अधिक सर्दी में हो सकता है हाइपोथर्मिया  -बुजुर्ग और बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है कम 

अधिक सर्दी में हो सकता है हाइपोथर्मिया  -बुजुर्ग और बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है कम 

अधिक सर्दी में हो सकता है हाइपोथर्मिया  -बुजुर्ग और बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है कम 

 ज्यादा ठंड में बुजुर्ग और बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण उन पर ठंक का ज्यादा जल्दी प्रभाव पड़ता है। इससे हाइपोथर्मिया का खतरा बढ़ जाता है। हाइपोथर्मिया को ही सामान्य भाषा में ज्यादा ठंड लगना कहा जाता है। ऐसी हालत में शरीर को गर्म रखना ज्यादा जरूरी होता है। ज्यादा ठंड नहीं सहन कर सकने वाले लोगों के हाथ-पैर ठंडे पड़ने लगते है। साथ ही पेट दर्द भी होने लगता है। बुजुर्गों और बच्चों का शरीर कमजोर होता है, जिस कारण ज्यादा ठंड नहीं झेल पाते। कमजोरी के कारण शरीर तापमान संतुलन नहीं कर पाता, इसलिए खतरा बढ़ जाता है। ठंड में घर से बाहर निकलते समय गर्म कपड़े जरूर पहनें। भूखे पेट घर से बाहर नहीं जाना चाहिए, क्योंकि खाली पेट से भी इस बीमारी का खतरा रहता है। सिर से शरीर को ज्यादा गर्मी मिलती है, इसलिए सिर को टोपी या गर्म कपड़े से ढंककर रखें। जितना हो सके हीटर से दूरी बनाएं। 
-बुजुर्ग और बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है कम 
नई दिल्ली (ईएमएस)। ज्यादा ठंड में बुजुर्ग और बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण उन पर ठंक का ज्यादा जल्दी प्रभाव पड़ता है। इससे हाइपोथर्मिया का खतरा बढ़ जाता है। हाइपोथर्मिया को ही सामान्य भाषा में ज्यादा ठंड लगना कहा जाता है। ऐसी हालत में शरीर को गर्म रखना ज्यादा जरूरी होता है। ज्यादा ठंड नहीं सहन कर सकने वाले लोगों के हाथ-पैर ठंडे पड़ने लगते है। साथ ही पेट दर्द भी होने लगता है। बुजुर्गों और बच्चों का शरीर कमजोर होता है, जिस कारण ज्यादा ठंड नहीं झेल पाते। कमजोरी के कारण शरीर तापमान संतुलन नहीं कर पाता, इसलिए खतरा बढ़ जाता है। ठंड में घर से बाहर निकलते समय गर्म कपड़े जरूर पहनें। भूखे पेट घर से बाहर नहीं जाना चाहिए, क्योंकि खाली पेट से भी इस बीमारी का खतरा रहता है। सिर से शरीर को ज्यादा गर्मी मिलती है, इसलिए सिर को टोपी या गर्म कपड़े से ढंककर रखें। जितना हो सके हीटर से दूरी बनाएं। बाइक पर निकलते समय दस्ताने, गर्म मौजे और ऑडी वार्मर जरूर पहनें। विशेषज्ञों का कहना है हाइपोथर्मिया की स्थिति में रोगी को गर्म कपड़ों से ढंककर किसी गर्म कमरे में लिटा दें। हीटर या आग से सीधे गर्मी देना ज्यादा खतरनाक हो सकता है। यदि संभव हो तो रोगी के हाथ-पैर को रगड़कर गर्म करें। साथ ही बिना डॉक्टरी सलाह के कोई भी दवा देने से परहेज करें। जितना जल्द हो सके रोगी को डॉक्टर के पास पहुंचाना चाहिए। कई बार हाइपोथर्मिया जानलेवा भी साबित हो सकता है। हाइपोथर्मिया होने पर शरीर का तापमान सामान्य 37 डिग्री से कम होने लगता है। साथ ही रोगी की आवाज धीमी होने के साथ-साथ उसे नींद आने लगती है। शरीर कांपने लगता है और हाथ-पैर जकड़ने लगते हैं। दिमाग का शरीर से नियंत्रण कम होने लगता है। 


 

Related Posts