जब भी किसी नेता का ट्विटर बायो बदलता है तो मचती है खलबली
हाल ही में भाजपा नेता पंकजा मुंडे ने अपने ट्विटर बायो से अपनी पार्टी का नाम हटा दिया। इसके बाद राजनैतिक गलियारों में अफरातफरी मच गई, अफवाहें उड़ने लगीं कि पंकजा भाजपा छोड़ रही हैं। हालांकि भाजपा की महाराष्ट्र इकाई के प्रमुख चंद्रकांत पाटिल ने इन अटकलों से सिरे से खारिज कर दिया है। यह पहली बार नहीं है जब किसी राजनेता के ट्विटर परिचय में हुए बदलाव से विवाद खड़ा हुआ है। पूर्व कांग्रेस प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने इस साल के शुरू में लोकसभा चुनाव के बीच अपनी ट्विटर प्रोफाइल से 'एआईसीसी प्रवक्ता' शब्द हटा दिए थे। इसके कुछ दिनों बाद वह प्रवक्ता के रूप में शिवसेना में शामिल हो गईं थीं। आम आदमी पार्टी की नेता आतिशी मार्लेना ने भी अपने ट्विटर अकाउंट से अपना सरनेम 'मार्लेना' हटा दिया, साथ ही यह पार्टी की सभी प्रचार सामग्री से भी हटा लिया गया। ऐसा विपक्ष के उन आरोपों का जवाब देने के लिए किया गया था जिनमें आतिशी को एक विदेशी और ईसाई बताया गया था।
एक बार पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अपने ट्विटर बायो से 'विदेश मंत्री भारत सरकार' हटा दिया था। उस समय ऐसी अटकलें लगने लगीं कि उन्हें सन 2015 में कैबिनेट से हटा दिया गया है, क्योंकि उन्होंने आईपीएल के पूर्व अध्यक्ष ललित मोदी की देश से भागने में मदद की थी। लेकिन इसके बाद अगले चार साल तक सुषमा विदेश मंत्री बनी रहीं। पिछले महीने ही कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने ट्विटर हैंडल से अपनी पार्टी 'कांग्रेस' का नाम हटा दिया था। इसके बाद अफवाहों का बाजार गर्म हो गया था कि ज्योतिरादित्य पार्टी बदलने के मूड में हैं। चूंकि ज्योतिरादित्य ने अनुच्छेद 370 के मुद्दे पर भाजपा का समर्थन किया था इसलिए इन अफवाहों को बल मिला, ज्योतिरादित्य ने अब तक पार्टी नहीं बदली है। लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि वह भविष्य में भी कांग्रेस में ही बने रहेंगे।
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