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लैंड एक्विजिशन, लेबर लॉ और लचर पॉलिसी के कारण भारत नहीं आ रही कंपनियां सरकार के तमाम प्रयासों के बाद भी

लैंड एक्विजिशन, लेबर लॉ और लचर पॉलिसी के कारण भारत नहीं आ रही कंपनियां  सरकार के तमाम प्रयासों के बाद भी

लैंड एक्विजिशन, लेबर लॉ और लचर पॉलिसी के कारण भारत नहीं आ रही कंपनियां 
सरकार के तमाम प्रयासों के बाद भी 
 नरेंद्र मोदी सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद विदेशी निवेशक क्यों भारत नहीं आना चाहते हैं? इस बारे में वर्ल्ड बैंक ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि लैंड एक्विजिशन, लेबर लॉ और लचर पॉलिसी के कारण विदेशी कंपनियां भारत में प्लांट लगाने से हिचक रही हैं। वर्ल्ड बैंक ने कहा,सरकार कारोबार करने के माहौल में सुधार कर रही है और इसका असर ईज ऑफ बिजनेस डूइंग इंडेक्स में भारत के परफॉर्मेंस सुधरने से लगाया जा सकता है। वर्ल्ड बैंक के एक इकोनॉमिस्ट आदित्य मट्टू ने कहा, सख्त रेगुलेशंस का लैंड, लेबर, लॉजिस्टिक्स पर बुरा असर पड़ता है। इसके साथ ही पॉलिसी भी बड़ी अड़चन है। मट्टू वर्ल्ड बैंक के इकोनॉमिस्ट होने के साथ ग्लोबल वैल्यू चेन पर लिखी वर्ल्ड डेवलपमेंट रिपोर्ट 2020 के ऑथर भी हैं। यही वजह है कि अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर के बाद जो कंपनियां चीन से निकलीं वो भारत नहीं आईं। वर्ल्ड बैंक की लेटेस्ट ईज ऑफ बिजनेस डूइंग की लिस्ट में भारत की रैंकिंग 14 पायदान ऊपर 63वें नंबर पर पहुंच गई है। हालांकि लॉजिस्टिक्स का खर्च भारत में चीन के मुकाबले तीन गुना और बांग्लादेश के मुकाबले दो गुना ज्यादा है। भारत की आबादी करीब 1.3 अरब है। चीन के बाद एशिया का यह सबसे बड़ा बाजार है। इसके बावजूद चीन से निकलने वाली मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां भारत ना आकर वियतनाम चली गईं।
लैंड एक्विजिशन, लेबर लॉ और लचर पॉलिसी 

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