राज्यसभा से दिल्ली की कच्ची कॉलोनी का बिल पास
दिल्ली की 1700 से अधिक अनधिकृत कॉलोनियों की मान्यता और निवासियों को मालिकाना अधिकार देने का रास्ता साफ हो गया है। राज्यसभा ने 3 घंटे चर्चा करने के बाद 'राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र दिल्ली (अप्राधिकृत कॉलोनी निवासी संपत्ति अधिकारी मान्यता) विधेयक, 2019' को ध्वनिमत से पारित कर दिया। लोकसभा ने इसे पिछले सप्ताह अपनी मंजूरी दे दी थी। आवास एवं शहरी कार्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि यह कानून 1796 कॉलोनियों के बारे में है, जिन्हें 2008 में अनधिकृत के रूप में अधिसूचित किया था। यह विधेयक दिल्ली की 40 लाख आबादी को राहत देगा। इससे लोगों को अपनी मकान और जमीन पर मालिकाना हक मिल सकेगा और वे इस पर ऋण आदि ले सकेंगे। इसके अलावा इससे उनको बुनियादी सुविधाएं भी उपलब्ध होंगी। अनधिकृत कॉलोनियों में संपत्ति की रजिस्ट्री महिला के नाम से या महिला के साथ पुरुष के नाम से संयुक्त रूप से होगी। रजिस्ट्री के लिए मामूली शुल्क चुकाना होगा। इन भूखंडों की रजिस्ट्री प्रक्रिया 16 दिसंबर से शुरू हो जाएगी। सभी प्रक्रियाएं ऑनलाइन होंगी। पुरी ने कहा कि 100 वर्ग गज के प्लॉट के लिए 1217 रुपये पंजीकरण शुल्क लगेगा। केंद्र सरकार इस पंजीकरण शुल्क से केंद्र सरकार के अधीन एक सामाजिक विकास कोष बनाएगी। खाली जमीन पर आसान शर्तों के साथ सामुदायिक केंद्र, पार्क आदि विकसित किए जाएंगे। सांसद भी स्थानीय विकास निधि का प्रयोग कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि पंजीकरण को सुलभ कराने का सुधार लागू करने के लिए उन कॉलोनियों का डिजीटल मानचित्रण किया जाएगा।
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