टीकाकारण से नहीं होता निमोनिया का खतरा
सिर्फ बच्चों को हो नहीं वयस्कों को भी लगाया जाता है टीका
निमोनिया बच्चों के लिए ही नहीं बल्कि वयस्कों के लिए भी खतरनाक साबित हो सकता है। निमोनिया बच्चों के साथ-साथ वयस्कों और खासकर बुजुर्गों को भी प्रभावित करता है लेकिन वयस्कों में अक्सर निमोनिया के लक्षणों को साधारण फ्लू समझने की गलती की जाती है। निमोनिया से बचा जा सकता है और इसे होने से भी रोका जा सकता है और इसका सबसे आसान और सुरक्षित तरीका है टीकाकरण यानी वैक्सीनेशन। निमोनिया का टीका सिर्फ बच्चों को हो नहीं वयस्कों को भी लगाया जाता है और यह वैक्सीनेशन न्यूमोकॉकल बैक्टीरिया के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करने और निमोनिया होने के खतरे को कई गुना तक कम करने में मददगार है। वयस्कों में निमोनिया से बचाव के लिए वैक्सीन सबसे प्रभावी है। एक अध्ययन में सामने आया है कि बच्चों में गंभीर निमोनिया होने का खतरा 35 प्रतिशत तक कम हो जाता है, अगर उन्हें बचपन में ही वैक्सीन लगवा दी जाए। विशेषज्ञों द्वारा जारी किए गए आंकड़ों की मानें तो साल 2017 में निमोनिया की वजह से दुनियाभर में करीब 26 लाख लोगों की मौत हो गई थी। माना जाता है कि 5 साल से कम उम्र के बच्चों में निमोनिया ज्यादा फैलता है और यही वजह है कि भारत समेत दुनियाभर में बच्चों में निमोनिया की वजह से होने वाली मौत को रोकने की हर संभव कोशिश की जा रही है लेकिन वयस्कों में निमोनिया की वजह से होने वाली मौत के बढ़ते मामलों पर अब तक किसी का ध्यान नहीं गया है। दरअसल, निमोनिया फेफड़ों का इंफेक्शन है जो आमतौर पर न्यूमोकॉकल बैक्टीरिया की वजह से होता है। इस दौरान फेफड़ों में सूजन और जलन होने लगती है। निमोनिया, बैक्टीरिया, वायरस और फंगस तीनों में से किसी से भी हो सकता है। फेफड़ों में मौजूद एयर सेक्स में जब हवा की जगह पस या किसी तरह का फ्लूइड भर जाता है तो उनमें सूजन और जलन होने लगती है। इसी स्थिति को निमोनिया कहते हैं।