
प्याज सुंघाकर होश में लाया जाता है, अब वह भी संभव नहीं- शिवसेना
- देश की अर्थव्यवस्था धराशायी -शिवसेना
देश में प्याज की आसमान छूती कीमतों को लेकर एक ओर जहां आमलोग परेशान हैं, वहीं विपक्षी पार्टियां सरकार पर हमलावर हैं. कुछ महीनों पहले बीजेपी की सहयोगी रही शिवसेना ने अब अर्थव्यवस्था और बढ़ती महंगाई को लेकर अपने मुखपत्र 'सामना' में संपादकीय के जरिये हमला बोला है. इसमें लिखा गया, 'बेहोश व्यक्ति को प्याज सुंघाकर होश में लाया जाता है, लेकिन अब बाजार से प्याज गायब हो गया है. ऐसे में अब यह (प्याज सुंघाकर होश में लाना) भी संभव नहीं है.' वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्याज की कीमतों पर दिए गए बयान पर शिवसेना ने तीखा हमला बोला है. 'सामना' में लिखा गया, 'निर्मला सीतारमण वित्तमंत्री हैं, लेकिन आर्थिक नीति में उनका क्या योगदान है? 'मैं प्याज नहीं खाती, तुम भी मत खाओ' यह उनका ही ज्ञान है.' बता दें कि निर्मला सीतारमण ने बाद में प्याज पर दिए गए बयान से पलटते हुए कहा था कि उनके बयान को गलत तरह से पेश किया गया. 'सामना' में लिखा गया, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में अर्थव्यवस्था सुधार करने की इच्छा दिखाई नहीं देती. मोदी जब प्रधानमंत्री नहीं थे तब प्याज की बढ़ती कीमतों पर उन्होंने चिंता व्यक्त की थी. वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने कहा था कि प्याज जीवन के लिए आवश्यक वस्तु है. अगर ये इतना महंगा हो जाएगा तो प्याज को लॉकर्स में रखने का वक्त आ गया है. आज उनकी नीति बदल गई है. शिवसेना ने कहा, 'मोदी अब प्रधानमंत्री हैं और देश की अर्थव्यवस्था धराशायी हो गई है. बेहोश व्यक्ति को प्याज सुंघाकर होश में लाया जाता है, लेकिन अब बाजार से प्याज ही गायब हो गया है. इसलिए यह भी संभव नहीं है. उस पर देश की अर्थव्यवस्था का जो सर्वनाश हो रहा है उसके लिए पंडित नेहरू तथा इंदिरा गांधी को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है. आज देश की अर्थव्यवस्था खस्ताहाल है. इसके पीछे नाकाम नोटबंदी का निर्णय मूल कारण है. गिने-चुने उद्योगपतियों के लिए अर्थव्यवस्था का इस्तेमाल किया जा रहा है. बुलेट ट्रेन जैसी परियोजनाओं पर बेवजह जोर देकर आर्थिक भार बढ़ाया जा रहा है. सत्ताधारी पार्टी को भारी चंदा देनेवालों की सूची सामने आई तो अर्थव्यवस्था में दीमक लगने की वजह सामने आती है. अधिकार शून्य वित्तमंत्री और वित्त विभाग के कारण देश की नींव ही कमजोर होती है. पंडित नेहरू और उनके सहयोगियों ने 50 वर्षों में जो कमाया उसे बेचकर खाने में ही फिलहाल खुद को श्रेष्ठ माना जा रहा है.