YUV News Logo
YuvNews
Open in the YuvNews app
OPEN

फ़्लैश न्यूज़

रीजनल

हैदराबाद कांड के बाद निर्भया के आरोपियों को सताने लगा मौत का डर

हैदराबाद कांड के बाद निर्भया के आरोपियों को सताने लगा मौत का डर

हैदराबाद कांड के बाद निर्भया के आरोपियों को सताने लगा मौत का डर
 पूरे देश को झकझोरने वाले 16 दिसंबर 2012 के गैंगरेप आरोपियों को अब अपनी मौत पास दिखाई दे रही है। हैदराबाद गैंगरेप के चारो आरोपियों का जो हाल हुआ, उसके बारे में जानकार इन चारों के मन में भी डर समा गया है। इस बीच तमाम संगठनों की ओर से 7 साल पुराने इस मामले में इन चारों आरोपियों को जल्द से जल्द फांसी दिए जाने की मांग उठ रही है। इससे सरकार पर इन पर जल्द फैसला लेने का दबाव पैदा हो गया है। 
उधर पीड़िता के परिवार के लोग भी बीते 7 साल से न्याय का इंतजार कर रहे हैं। उन्नाव कांड के बाद से तो इस मामले को और भी तेजी से निपटाने की मांग की जाने लगी है। डीसीडब्ल्यू प्रमुख स्वाति मालीवाल निर्भया के मामले में जल्द से जल्द फैसला और आरोपियों को फांसी दिए जाने की मांग को लेकर राजघाट के पास धरना दे रही हैं। वह बीते तीन दिनों से धरना स्थल पर बैठी हैं।
हैदराबाद और उन्नाव कांड के बाद गैंगरेप के आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग तेज हो गई है। 16 दिसंबर 2012 को निर्भया गैंगरेप की वारदात के चारों आरोपियों को इसी दिन (आगामी 16 दिसंबर) फांसी पर लटकाने की अटकलें तेज हो गई हैं। कहा जा रहा है कि तिहाड़ जेल में बंद चारों दोषियों के मामले में फांसी पर लटकाए जाने से रोकने के लिए राष्ट्रपति के नाम लिखी गई दया याचिका दिल्ली सरकार से खारिज किए जाने के बाद एलजी हाउस से होती हुई केंद्रीय गृह मंत्रालय पहुंच गई है। यहां से इसे राष्ट्रपति के पास पहुंचाया जाएगा। 
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी अगर इस याचिका को खारिज कर देते हैं तो फिर संबंधित कोर्ट इन चारों को फांसी पर लटकाए जाने के लिए डेथ वॉरंट जारी करेगा। जैसे ही इन चारों आरोपियों की दया याचिका राष्ट्रपति से खारिज की जाएगी। वैसे ही जेल प्रशासन इन्हें फांसी पर लटकाने की तैयारी शुरू कर देगा। हालांकि, इसके लिए कानूनी राय लेना शुरू कर दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश में कहा गया था कि राष्ट्रपति के पास से फांसी की दया याचिका खारिज होने के बाद भी दोषियों को 14 दिन का वक्त दिया जाना चाहिए। अगर वह निर्भया गैंगरेप जैसे मामले के दोषियों पर लागू नहीं होता है तो फिर राष्ट्रपति के पास से दया याचिका खारिज होने के बाद इन्हें कभी भी लटकाया जा सकता है। वह तिथि 16 दिसंबर भी हो सकती है या कोई और। फांसी की तिथि तय करना संबंधित कोर्ट का काम है।

Related Posts